लखनऊ । पुलिस से जुड़ी जांच है, किसी से बात मत करना! बस यही एक लाइन थी जिसने रिटायर्ड डॉक्टर को 48 घंटे तक डिजिटल कैद में रखा। राजधानीके गोमती नगर में रहने वाले डॉक्टर बीएन सिंह के साथ जो हुआ, वो सिर्फ ठगी नहीं – एक साइकोलॉजिकल ट्रैप था।
एक पार्सल से शुरू हुआ सब कुछ
रविवार दोपहर 2 बजे डॉक्टर को वॉट्सऐप कॉल आई। कॉल करने वाला खुद को ब्लू डॉट कूरियर का कर्मचारी बताने लगा। बोला—”आपके नाम से भेजा गया एक पार्सल पकड़ा गया है, जिसमें अवैध चीजें हैं। पुलिस अफसर से बात कीजिए।फिर कॉल को जोड़कर एक फर्ज़ी अधिकारी से बात कराई गई। उसने कहा—”आपके आधार का दुरुपयोग हुआ है। केस में आप संदेह के घेरे में हैं। जांच के लिए सहयोग करें, और किसी से बात मत करें।”
वीडियो कॉल पर निगरानी, और धीरे-धीरे अकाउंट खाली
2 दिन तक डॉक्टर को कॉल पर व्यस्त रखा गया। वीडियो कॉल और चैट पर लगातार बातचीत, ताकि वे किसी से मदद ना मांग सकें।केस खत्म होने के बाद पैसे लौटाए जाएंगे,” कहकर आरटीजीएस के जरिए 95 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए गए। जब 25 लाख और मांगे, तब डॉक्टर को शक हुआ — और उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई। साइबर थाने के इंस्पेक्टर बृजेश यादव ने बताया कि इस पूरे मामले को साइबर थाना ने गंभीरता से लेते हुए जांच पड़ताल शुरू कर दी ही है। इस तरह के मामले आये दिन आ रहे। इसको लेकर लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। फिर भी लोग साइबर ठगों के चुंगल में फंस जा रहे है।
सावधान रहें और जागरूक बनें
साइबर ठग अब सिर्फ बैंक OTP नहीं मांगते —वो आपके डर का फायदा उठाकर आपके दिमाग पर कब्जा कर लेते हैं।
किसी अनजान कॉल या वॉट्सऐप मैसेज पर विश्वास न करें
खुद को अधिकारी बताने वालों से सबूत मांगे
कोई भी “गोपनीय जांच” आपको चुप रहने को नहीं कहेगी
अपने बैंक ट्रांजेक्शन किसी के कहने पर न करें
तुरंत नजदीकी साइबर थाने या हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें