लखनऊ । यूपी में बीस जनपद ऐसे में जहां पर सड़क दुर्घटना सबसे ज्यादा लोग जान गवां रहे है। इन जनपदों में सडक हादसों को कैसे रोका जाए। इस संबंध में डीजीपी के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। जिसमें बीस जिलों के संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को बुलाकर होने वाले सड़क हादसों को रोकने को लेकर मंथन किया गया। साथ ही अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने का भी काम किया गया।

इन जनपदों में सबसे अधिक हो रहे सड़क हादसे

बता दें कि प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं एवं उनमें मृतकों की संख्या में कमी लाये जाने एवं यातायात प्रबन्धन को और अधिक बेहतर करने के लिये यातायात पुलिस तथा सड़क सुरक्षा से जुड़े विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन सत्त प्रयासरत है।प्रशिक्षण कार्यशाला में विगत 5 वर्षां में घटित सड़क दुर्घटनाओं एवं उनमें मृतकों की संख्या के आधार पर चिन्हित किये गये शीर्ष 20 जनपदों (लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज, आगरा, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, गोरखपुर, बरेली, हरदोई, बुलन्दशहर, अलीगढ़, मथुरा, मेरठ, उन्नाव, सीतापुर, शाहजहॉंपुर, बाराबंकी, फिरोजाबाद, कुशीनगर एवं आजमगढ़) में से प्रत्येक जनपद से एक उपनिरीक्षक यातायात एवं एक उपनिरीक्षक नागरिक पुलिस, पीडब्लूडी से 2, यूपीडा से 1, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से 2 एवं परिवहन विभाग से 5 प्रशिक्षणार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

अन्तराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया की दी गई जानकारी

प्रशिक्षण कार्यशाला में सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित एजेन्सियों यथा परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, शिक्षा विभाग, चिकित्सा विभाग, नगर विकास, यूपीडा, उपशा इत्यादि की सड़क दुर्घटना घटित होने पर भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारी, सड़क दुर्घटनाओं से सम्बन्धित कानून यथा मोटर वाहन अधिनियम-2019, सेन्ट्रल मोटर व्हीकल रूल्स (सीएमवीआर) व भारतीय न्याय संहिता, दुर्घटनाओं के वैज्ञानिक साक्ष्य संग्रहित करना, दुर्घटना स्थल की नक्शा मौका, सड़क दुर्घटना घटित होने की की स्थिति में सड़क की स्थिति, दुर्घटनाग्रस्त वाहन व आसपास की फोटोग्राफी, राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया व उसकी उपयोगिता के बारे में बताया गया।

पहले दिन प्रशिक्षण शिविर में इन बिन्दुओं पर की गई चर्चा

प्रशिक्षण शिविर में विभिन्न देशों द्वारा प्रयोग किये जा रहे रोड साइनेजेज के सम्बन्ध मे विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी साथ ही रोड इन्जीनियरिंग से सम्बन्धित समस्याओं यथा सिग्नलिंग व साइनेजेज का सही ढंग से न लगे होना, वाहन चालकों द्वारा यातायात नियमों का पालन न करना (जेब्रा क्रासिंग का सिग्नल लाईट से आगे होना, ब्लैक स्पॉट, पशुओं का मार्गां पर आ जाना, पैदल यात्रियों का सिग्नल को अनदेखा कर सड़क को क्रास करना, रॉंग साइड ड्राइविंग, नशे की हालत में वाहन चलाना, वाहन चलाने समय मोबाईल का उपयोग करना, ओवरस्पीडिंग करना, अपनी लेन में न चलना, वाहन की निर्धारित क्षमता से अधिक सवारी बैठाना) के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा की गयी।

तीसरे दिन यातायात नियन्त्रण के साधनों के प्रति दिया गया प्रशिक्षण

गुरुवार को यातायात नियन्त्रण के साधनों जैसे, रोड साइन, रोड मांर्कंग, ट्रैफिक सिग्नल व इण्डियन रोड काग्रेंस की गाइड लाइन्स, सड़क दुर्घटना की विवचेना करने वाले विवेचकों को यातायात प्रबन्धन के साथ-साथ कानून व्यवस्था व सड़क दुर्घटनाओं की विवेचनाओं में आने वाली समस्याओं के बारे में केस स्टडी के माध्यम से विस्तृत जानकारी, मोटर व्हीकल ड्राइविंग रेगुलेशन-2017 के सभी 42 नियमों का वर्णन एवं फोरेंसिंक साइंस के द्वारा साक्ष्य संकलन में प्रयोग होने वाले उपकरणों एवं संसाधनों एवं स्कूल के बच्चों को लाने व ले जाने वाले एवं अन्य वाहनों की फिटनेस की जॉंच निर्धारित मानकों के अन्तर्गत किये जाने इत्यादि के बारे जानकारी/प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

दूसरे दिन वाहनों लगने वाली बत्ती व हूटर पर हुई चर्चा

शुक्रवार को यातायात नियन्त्रण में (वाहनों में लाल बत्ती, नीली बत्ती, हूटर,सायरन पार्टी झण्डे, हेलमेट सीटबेल्ट न पहनने, मोटर यान अधिनियम-1989 के नियम-100 के अन्तर्गत मोटर वाहनों में ब्लैक फिल्म लगी होने के कारण, व्हील क्लैम्प ब्रेथ एनालाइजर स्पीड रडार विद् प्रिन्टर,स्पीड राडार विद् प्रिन्टर एवं वीडियो कैमरा खतरनाक अन्धे मोड़ एवं दुर्घटना बाहुल्य स्थलो पर लगाये गये संकेतक बोर्डो के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा की गयी।

पैदल यात्रियों का सिग्नल को अनदेखा कर सड़क को क्रास करना, रॉग साइड ड्राइविंग, नशे की हालत में वाहन चलाना, वाहन चलाने समय मोबाईल का उपयोग करना, ओवरस्पीडिंग करना, अपनी लेन मे न चलना, वाहन की निर्धारित क्षमता से अधिक सवारी बैठाना) के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा की गयी।

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