लखनऊ । उत्तर प्रदेश की येागी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अपराध शाखा, अपराध अनुसंधान विभाग (CB-CID) का नाम बदलकर अब अपराध अनुसंधान विभाग (CID – Crime Investigation Department)कर दिया है। बताया जा रहा है कि अपराध अनुसंधान प्रणाली को और अधिक प्रभावी और सरल बनाने के लिए ऐसा किया गया है। इससे पहले शासन ने एसआईटी का नाम बदल कर एसएसआईटी कर दिया था।

गृह विभाग ने नाम परिवर्तित किए जाने का शासनादेश किया जारी

डीजी सीबीसीआइडी ने छह दिसंबर, 2023 को जांच एजेंसी के नाम में परिवर्तन किए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। वर्तमान में क्राइम ब्रांच, फिंगर प्रिंट ब्यूरो व क्रिमिनल ट्राइब ब्रांच सीबीसीआइडी से अलग हो चुकी हैं। जबकि दो नवंबर, 2023 को विशेष अनुसंधान शाखा (सहकारिता) को सीबीसीआइडी में संविलीन कर दिया गया था।प्रशासनिक व कार्यकारी दृष्टिकोण से जांच एजेंसी का नाम बदले जाने का निर्णय किया गया। गृह विभाग ने नाम परिवर्तित किए जाने का शासनादेश जारी कर दिया है। इससे पूर्व विशेष जांच दल (एसआइटी) का नाम परिवर्तित कर राज्य विशेष जांच दल (एसएसआइटी) किया गया था।जिला स्तर पर भी किसी मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित की जाती हैं। इसके चलते कई बार एसआइटी को लेकर भ्रम की स्थिति रहती थी। इस पर शासन ने एसआइटी का नाम बदलकर एसएसआइटी कर दिया था।

केवल नाम बदला है कार्य प्रणाली पहले जैसे ही रहेगी

उत्तर प्रदेश के इस महत्वूपर्ण विभाग का मुख्य कार्य अपराधों की गहन जांच करना,अपराधियों की पहचान और संगठित अपराधों की पड़ताड़ करना अथवा फॉरेसिंक विश्लेण करना है। नाम परिवर्तन से विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी और जनता और पुलिस कर्मियों को विभाग की भूमिका को समझने में सुविधा होगी। केवल नाम में बदलाव किया गया है बाकी सारा काम पहले की तरह ही जारी रहेगा। राज्यपाल ने इस बदलाव को अपनी स्वीकृति भी प्रदान कर दी है।

इससे विभाग को मिलेगी नई पहचान

गृह विभाग के विशेष सचिव राकेश कुमार मालपाणी द्वारा हस्ताक्षरित आदेश के अनुसार यह बदलाव 16 मार्च 2025 से प्रभावी हो गया है। पुलिस विभाग के अधिकारियों की माने तो CB-CID शब्द जटिल के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति रहती थी लेकिन CID नाम ज्यादा सरल और व्यापक रूप से मान्य है। इस फैसले के जरिए राज्य सरकार ने अपराध जांच प्रणाली को मजबूत करने और विभाग को एक नई पहचान देने की कोशिश की है। अब देखना यह है कि इस बदलाव का अपराध नियंत्रण और जांच प्रक्रियाओं पर कितना असर पड़ता है। यह तो आने वाला समय ही बताएंगा।

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