नई दिल्ली। ज्ञानेश कुमार देश के नये मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे। वे राजीव कुमार की जगह लेंगे। कानून मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी। राजीव कुमार का कार्यकाल आज समाप्त हो गया।पिछले साल मार्च में चुनाव आयुक्त के रूप में नामित किए गए ज्ञानेश कुमार देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे। वे इस साल के आखिर में बिहार विधानसभा चुनाव और अगले साल बंगाल, असम और तमिलनाडु में होने वाले चुनावों की देखरेख करेंगे। इसके साथ ही 2027 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के कार्यकाल में होंगे।
तीन सदस्यीय पैनल में दो आयुक्तों में से वरिष्ठ
केरल कैडर के 1988 बैच के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार, तीन सदस्यीय पैनल में दो आयुक्तों में से वरिष्ठ हैं।इससे पहले सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त के नाम पर विचार के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नॉर्थ ब्लॉक में हुई बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल हुए। पुरानी व्यवस्था के तहत तीन सदस्यी चुनाव आयोग में सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया जाता रहा है। हालांकि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े कानून के तहत अब समिति के माध्यम से नए मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन होता है।
वर्तमान में आयोग में शामिल चुनाव आयुक्त भी हो सकते
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यालय की शर्तें) अधिनियम, 2023 के तहत नए मुख्य चुनाव आयुक्त वर्तमान में आयोग में शामिल चुनाव आयुक्त भी हो सकते हैं या फिर कोई नया नाम तय किया जा सकता है। अधिनियम के तहत केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री की अध्यक्षता में एक खोज समिति पांच उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करती है।
राजीव कुमार ने यह पदभार वर्ष 2022 में संभाला था
उल्लेखनीय है कि मुख्य चुनाव आयुक्त रहे राजीव कुमार ने यह पदभार वर्ष 2022 में संभाला था। उनके नेतृत्व में चुनाव आयोग ने 2024 में लोकसभा चुनाव संपन्न कराया। इसके अलावा कई राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न कराए जिनमें जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, झारखंड और इसी साल हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव भी शामिल हैं।
आधी रात को सीईसी का चयन करना अपमानजनकः राहुल
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि चुनाव आयुक्त का चयन करने के लिए गठित समिति की बैठक में सोमवार को उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की चयन प्रक्रिया पर असहमति व्यक्त की थी। इसके बावजूद आधीरात को जिस तरह से सीईसी का चयन किया गया, यह अपमानजनक और अशिष्टतापूर्ण है।राहुल गांधी ने आज एक बयान में कहा कि अगले चुनाव आयुक्त का चयन करने वाली समिति की बैठक के दौरान मैंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को एक असहमति पत्र प्रस्तुत किया था।
अखंडता पर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को और बढ़ा दिया
इसमें कहा गया था कि कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने की प्रक्रिया है। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करके और भारत के मुख्य न्यायाधीश को समिति से हटाकर मोदी सरकार ने हमारी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को और बढ़ा दिया है।
विपक्ष के नेता के रूप में यह मेरा कर्तव्य
राहुल ने कहा कि विपक्ष के नेता के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब आंबेडकर और हमारे राष्ट्र के संस्थापक नेताओं के आदर्शों को कायम रखूं और सरकार को जवाबदेह ठहराऊं। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री द्वारा नए मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने का आधी रात को निर्णय लेना अपमानजनक और अशिष्टतापूर्ण है जबकि समिति की संरचना और प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है और इस पर 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है।