लखनऊ। डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज लखनऊ, उत्तर प्रदेश में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में कृत्रिम मूत्राशय स्फिंक्टर प्रत्यारोपण सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है।
बलिया जिले के रसड़ा निवासी, 69 वर्षीय श्याम नारायण पूर्ण मूत्राशय असंयम से पीड़ित थे। उन्होंने लोहिया संस्थान में दिखाया। इसके बाद लोहिया इंस्टीट्यूट के यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग की एक विशेषज्ञ टीम ने रैडिकल प्रोस्टेटेक्टॉमी सर्जरी की।
यह सफलता उत्तर प्रदेश में यूरोल्जी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम
इस सर्जरी में डॉ. राम मनोहर सर्जरी टीम में डॉ. ईश्वर राम धायल, डॉ. गौतम बंगा (दिल्ली के सुप्रसिद्ध यूरोलॉजिस्ट), डॉ. आलोक श्रीवास्तव, डॉ. शिवानी, डॉ. नंदन और डॉ. प्रवीण शामिल थे। साथ ही, एनेस्थीसिया टीम में डॉ. पी के दास और डॉ. स्मारिका ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख शल्य चिकित्सक डॉ. ईश्वर राम धायल ने कहा, कृत्रिम मूत्राशय स्फिंक्टर प्रत्यारोपण एक जटिल शल्य चिकित्सा है, जो मूत्र असंयम से पीड़ित मरीजों के लिए एक प्रभावी उपचार प्रदान करता है। “यह सफलता उत्तर प्रदेश में यूरोल्जी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कृत्रिम मूत्राशय स्फिंक्टर डिवाइस एक अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक
कृत्रिम मूत्राशय स्फिंक्टर डिवाइस एक अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक है, जो प्राकृतिक स्फिंक्टर की भूमिका निभाती है और मरीजों को मूत्राशय नियंत्रण पुनः प्राप्त करने में मदद करती है। यह सर्जरी उन मरीजों के लिए अनुशंसित की जाती है, जो अन्य उपचारों से लाभ नहीं प्राप्त कर पाए हैं।
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर डॉ. सी एम सिंह ने बताया कि यह उपलब्धि डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के समर्पण को दर्शाती है, जो नवीनतम चिकित्सा नवाचारों के जरिए रोगियों के उपचार को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।