लखनऊ।रेलवे ने आरक्षण टिकट बुकिंग के नियम बदल दिए हैं। यह बदलाव दिनों की संख्या को लेकर हुआ है। इस नियम से दलालों पर अंकुश लगेगा। अब रेलवे द्वारा अग्रिम आरक्षण की अवधि में बदलाव किया गया है अब यह अवधि 120 दिनों से घटाकर 60 दिन कर दी गई है।
ज्ञात हो कि रेलवे की अग्रिम आरक्षण अवधि में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं। अग्रिम आरक्षण अवधि 30 दिन से लेकर 120 दिन तक की रही है। विभिन्न अवधियों के अनुभव के आधार पर, यात्रियों की दृष्टि से 60 दिन की अग्रिम आरक्षण अवधि सबसे उपयुक्त अवधि मानी गयी है।
2015 से 31 अक्टूबर 2024 तक 120 दिन रही
विभिन्न समय अन्तराल पर अग्रिम आरक्षण की अवधि-अप्रैल, 1981 से जनवरी, 1985 तक 120 दिन रही। 01 फरवरी.1985 से 31 अगस्त 1988 तक 90 दिन रही। 01 सितम्बर 1988 से 30 सितम्बर 1993 तक 60 दिन रही। 01 अक्टूबर 1993 से 30 जून 1995 तक 45 दिन रही। 01 सितम्बर 1995 से 31 जनवरी.1998 तक 30 दिन रही। 01 फरवरी 1998 से 28 फरवरी 2007 तक 60 दिन रही।
01 मार्च .2007 से 14 जुलाई 2007 तक 90 दिन रही। 15 जुलाई 2007 से 31 जनवरी 2008 तक 60 दिन रही। 01 फरवरी .2008 से 09 मार्च 2012 तक 90 दिन रही। 10 मार्च 2012 से 30 अप्रैल 2013 तक 120 दिन रही। 01 मई 2013 से 31 मार्च 2015 तक 60 दिन रही और 01 अप्रैल 2015 से 31 अक्टूबर 2024 तक 120 दिन रही है।
आरक्षण की अवधि 120 दिन के स्थान पर अब 60 दिन
रिष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी अमित मालवीय ने बताया है कि 60 दिनों की आरक्षण अवधि से यात्रियों को विभिन्न पहलुओं पर लाभ होंगे। जैसे 120 दिन योजना बनाने के लिए बहुत लम्बे थे, जिसके परिणामस्वरूप यात्रियों के यात्रा पर न आने के कारण बहुत अधिक निरस्तीकरण और सीटों-बर्थों की बर्बादी होती थी। वर्तमान में, लगभग 21 प्रतिशत निरस्तीकरण और 4-5 प्रतिशत यात्री यात्रा पर नहीं आते।
कई मामलों में देखा गया है कि यात्री अपने टिकट निरस्त नहीं करते हैं और यात्रा पर नहीं आते हैं। इससे यात्री के स्थान पर दूसरे यात्री के यात्रा करने एवं भ्रष्ट आचरण की सम्भावन बनी रहती है। अब, इसे रोका जा सकता है। लम्बी अवधि के साथ कुछ लोगों द्वारा टिकट ब्लोकिंग की सम्भावना अधिक हो जाती है। अवधि का सामान्य श्रेणी के टिकटों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि वे यात्रा से ठीक पहले खरीदे जाते हैं।