प्रयागराज। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के शिक्षा विद्या शाखा के तत्वावधान में मंगलवार को लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की जन्म जयंती 31 अक्टूबर के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय एकता दौड़ का आयोजन किया गया । कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने दौड़ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और गंगा परिसर से सरस्वती परिसर तक दौड़ में शामिल हुए। प्रोफेसर सत्यकाम ने दौड़ का नेतृत्व करते हुए शिक्षकों एवं कर्मचारियों में जोश भर दिया। इस अवसर पर सभी लोग भारत माता की जय, सरदार पटेल अमर रहे, कश्मीर से कन्याकुमारी, भारत माता एक हमारी, एक भारत श्रेष्ठ भारत का नारा लगाकर जनमानस को एकता बनाए रखने के लिए अभिप्रेरित कर रहे थे।

रियासतों में विभक्त भारत को अखंड भारत बनाने का श्रेय सरदार पटेल को

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने की। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज जो भारत हम देख रहे हैं वह सरदार पटेल के सपनों से सींचा हुआ भारत है। रियासतों में विभक्त भारत को अखंड भारत बनाने का पूरा श्रेय सरदार पटेल को जाता है।

वर्तमान में भारत कश्मीर से कन्याकुमारी तक गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक अपने सामाजिक सांस्कृतिक विविधता में भी एकता का परिचायक है। उसका पूरा श्रेय अगर हम सरदार पटेल को दें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में जितने लोगों ने आहुति दी थी उस आहुति के अनुक्रम में सरदार पटेल ने सभी के लहू से सींचा हुआ अखंड भारत पुरस्कार रूप में हम सभी भारतीयों को प्रदान किया।

राष्ट्रीय एकता दौड़ में कुलपति ने दौड़ में शामिल होकर जोश भर दिया

हम सभी के लिए गौरव की बात है कि ऐसे महापुरुष का जन्म भारत भूमि पर हुआ जो आज भी अपने कर्म एवं आदर्श के लिए जनमानस में लोकप्रिय है। गंगा परिसर से लेकर सरस्वती परिसर तक आयोजित राष्ट्रीय एकता दौड़ में कुलपति ने दौड़ में शामिल होकर जोश भर दिया। राष्ट्रीय एकता दिवस के उपलक्ष्य में दौड़ का सफल आयोजन निदेशक, आचार्य, सह आचार्य, सहायक आचार्य एवं समस्त कर्मचारियों की प्रतिभागिता से संभव हो सका। कार्यक्रम के निदेशक प्रोफेसर पी.के स्टालिन, संयोजक प्रोफेसर छत्रसाल सिंह, आयोजन सचिव परविंद कुमार वर्मा ने प्रारंभ में कुलपति का स्वागत किया। अंत में सभी का धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार द्वारा किया गया।उक्त जानकारी जनसंपर्क अधिकारी डा. प्रभात चंद्र मिश्र ने दी।

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