लखनऊ। पीजीआई थाना क्षेत्र में संचालित एक अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा हुआ है। पीजीआई थाना पुलिस और सर्विलांस टीम ने यहां से 12 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया हैं। इनके पास से भारी संख्या में लैपटॉप, मोबाइल, अन्य चीजें बरामद हुई है।गिरफ्तार अभियुक्तों में कानपुर का चंदन उर्फ रिक्की, राजस्थान निवासी मोहन श्याम शर्मा, लखनऊ का उत्कर्श गोल्ड, रायबरेली का रहने वाला नीरज कुमार, लखनऊ का करन सिंह, संतकबीर नगर का तरूण गुप्ता, दिल्ली का नीरज पाण्डेय, गोण्डा का सिद्धार्थ कश्यप, लखनऊ का रितुराज गुप्ता बहराइच का सोमनाथ, चंदौली का विराट कुमार और बस्ती निवासी रामजनक है।

वृदांवन योजना में एक अपार्टमेंट चल रहा था फर्जी काल सेंटर

पुलिस उपायुक्त पूर्वी शशांक सिंह ने पत्रकारों को बताया कि शुक्रवार की रात पीजीआई पुलिस को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि वृदांवन योजना में किसी अपार्टमेंट में काल सेंटर की एक्टिविटी देर रात तक चल रही है ,जो संदिग्ध प्रतीत हो रही है। मामले को गंभीरता से लेते हुए थाना पीजीआई, पूर्वी जाने की क्राइम टीम व साइबर टीम को उनके द्वारा रवाना किया गया । टीम ने मौके पर पहुंचकर देखा तो एक अवैध काल सेंटर चलता मिला जो अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा रहा था।

अभी दो व तीन महीना पहले आये लखनऊ

पुलिस द्वारा पूछताछ की गई तो इनके द्वारा बताया गया कि ये एक जो फर्जी काल सेंटर चलता है, जो एक नये तरह का साइबर क्राइम डेपलेप हुआ है। जिसकी जड़े मुख्य रूप से इटली, नोएडा, गुड़गांव में रहती है। उसी चीज का एक वर्जन लखनऊ लेकर आये थे। अभी दो व तीन महीना पहले लखनऊ में आये हैं। इनका मुख्य टारगेट रहता है कि इंटरनेट पर जो बेवसाइट इनकी टेक्नीकल टीम वो पॉपअप के थ्रू इंटरनेट व बेवसाइड पर एक विज्ञापन बनाता है।जो एक तरह के वायरस के तरह दिखते है।

इस पर जैसे ही आप क्लिक करते है वैसे ही आपकी बिंडो स्क्रीन कम्प्यूटर की लॉक हो जाती है। इसके बाद वह वायरस कप्म्यूटर को टेकओवर कर लेता है। साथ ही साथ नीचे एक फोन नंबर उपलब्ध कराया जाता है। जिससे बताया जाता है कि अाप कस्टमर केयर व सपोर्ट अधिकारी से बात कर सकते है। उस नंबर पर काल करते ही वर्चचुअल मोबाइल के जरिये बात करतें है। खुद को अमेरिकन बताते है। अंग्रेजी बोलने में बहुत माहिर है।

यूएस-कनाडा के लोगों के सिस्टम पर पॉपअप ऐरर भेजते

मुख्य रूप से अमेरिका व कनाडा के कस्टमर से बात करते हैं । ये अल्ट्रा विवर नाम से एक एप्लीकेशन का प्रयोग करके उनके डिजिटल अरेस्ट भी कर लेते है। इसके बाद कम्प्यूटर की पूरी एक्टिविटी पर नजर रखते है। इसके बाद खुद के द्वारा बनाये गए वायरस को खुद ही साल्ब कर देते हैं और उसके पेमेंट के तौर पर ये अमोजोन का गिफ्ट कार्ड व एपल कूपन का उपयोग करते हैं।

कस्टमर से ये गिफ्ट कार्ड व कूपन खरीदवाते हैं और उनका कोड नंबर निकलवा लेते हैं।फिर उस कोड को अपने सीपीयर जो टेलीग्राम से जुड़े रहते है, जिन्हें ये व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते है, उनको ये सूचना प्रदान कर देते हैं। इस प्रकार से इनका काम चलता रहता है। ये साइबर फ्राड का एकदम से नया पैटर्न है, जो लखनऊ में पहली बार देखा गया है।

गिफ्ट कार्ड के माध्यम से लाखों रुपये प्रतिदिन हड़प लेते थे

थाना प्रभारी बृजेश कुमार यादव ने बताया कि विदेशी नागरिकों को लैपटॉप, कम्प्यूटर में सॉफ्टवेयर में पॉपअप एरेर, बग देकर विदेशी कस्टमर के सिस्टम में रुकावट पैदा करते थे। इससे उनके स्क्रीन पर एरर शो करता था। तब विदेशी नागरिक जब सम्पर्क करता तो हम लोग उन्हें अपना शिकार बनाकर उनके कम्प्यूटर का एक्सि एल्ट्रा विवर एप्लीकेशन के माध्यम से सिस्टम एरर करने के नाम पर उनके बैंक अकाउंट से क्रिप्टोकरेंसी, गिफ्ट कार्ड के माध्यम से लाखों रुपये प्रतिदिन हड़प लेते थे।पुलिस द्वारा 12 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इनके साथ 11 लैपटाप,सात लैपटॉप चार्जर, एक टैबलेट कंपनी सैमसंग, दो एयरफाइबर यूनिट, तीन राउटर, पांड हेडफोन, दो माऊस, 17 मोबाइल फोन बरामद किया गया है। । पुलिस अभियुक्तों को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई में जुट गई है।

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