लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शुरू से मंशा रही है कि उत्तर प्रदेश देश का “फूड बास्केट” बने। इस मंशा के पीछे उनके ठोस तर्क हैं। मसलन इंडो गेंगेटिक बेल्ट की सबसे उर्वर भूमि, अलग-अलग फसलों और फलों की खेती के लिए नौ तरह की कृषि जलवायु, वर्ष पर्यन्त पानी की उपलब्धता वाली गंगा, यमुना, सरयू जैसी नदियां, सर्वाधिक आबादी के नाते प्रचुर मात्रा में श्रम और बाजार की उपलब्धता आदि।

योगी सरकार लगातार कर रही उत्पादन बढ़ाने का प्रयास

विभिन्न योजनाओं के जरिए योगी सरकार लगातार फसलों की उपज बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसके नतीजे भी निकले हैं। पर राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर अलग-अलग फसलों के उत्पादन पर गौर करें तो अब भी उपज बढ़ाने की बहुत सम्भावना है। सरकार अब इस पर ही फोकस कर रही है। यूपी एग्रीज जैसी महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के केंद्र में भी उपज बढ़ाने को मुख्य घटक माना गया है।

प्रमुख फसलों के उत्पादन के गैप को पाटने का चल रहा कार्य

करीब दो साल पहले भी सरकार ने जिलेवार और फसलवार अधिकतम और न्यूनतम उत्पादकता के आंकड़े निकलवाए थे। इसका मकसद यह जानना था कि किन वजहों से किसी फसल के अधिकतम और न्यूनतमउत्पादन में इतना अंतर है। इस अंतर को पाटने के लिए न्यूनतम उत्पादन वाले जिलों में सम्बंधित फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या किया जाना चाहिए।

यूपी एग्रीज में अब कम उत्पादन वाले बुंदेलखंड व पूर्वांचल पर फोकस

अब यही कवायद एक बार फिर योगी सरकार विश्वबैंक की मदद से यूपी एग्रीज (उत्तर प्रदेश: कृषि एवम ग्रामीण उद्यमिता सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम) के जरिए अधिक संसाधनों के साथ व्यापक इलाके में समयबद्ध और नियोजित तरीके से जा रही है।उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश करीब 24% उत्पादन के साथ कुल कृषि उत्पादन में देश में नम्बर एक है। रबी की प्रमुख फसल गेंहू के मामले में यह नम्बर एक (31%) तो खरीफ की प्रमुख फसल धान के उत्पादन में इसका देश में दूसरा (15%) है।

सर्वाधिक उत्पादन वाले राज्यों की तुलना में यूपी पीछे

सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि कुछ फसलों को छोड़ दें तो इनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्रति कुंतल राष्ट्रीय एवरेज से कम है। प्रति हेक्टेयर, प्रति कुंतल सर्वाधिक उत्पादन लेने वाले राज्यों की तुलना में तो कम है ही, वैश्विक स्तर के अधिकतम उत्पादन से तो कोई तुलना ही नहीं है। उदाहरण के तौर पर चावल, गेंहू, बाजरा, ज्वार और चना को छोड़ दें तो बाकी प्रमुख फसलों में उत्तर प्रदेश सर्वाधिक उत्पादन करने वाले राज्यों से पीछे है। उत्तर प्रदेश में प्रति हेक्टेयर चावल की उत्पादकता 27.59 कुंतल है तो पंजाब की उत्पादकता 43.66 कुंतल।

इसी तरह यूपी में गेंहू का उत्पादन 36.04 पंजाब में 48.62, ज्वार 15.78 आंध्र प्रदेश 30.70, बाजरा 22.21 हरियाणा 23.72, मक्का 23.31 तमिलनाडु 68.20, उर्द 4.98 महाराष्ट्र 5.68 , मूंग 3.58 महाराष्ट्र 5.55, तिल 2.26 पश्चिम बंगाल 9.74, चना,13.76, गुजरात 15.68, अरहर 9.88 झारखंड 11.38, मसूर 9.88 मध्य प्रदेश 11.39, दलहन 10.79 गुजरात 12.75, राई सरसो 14.12, हरियाणा 22.17, तिलहन 10.54 तमिलनाडु 20.43 प्रति हेक्टेयर कुंतल।इनका उत्पादन बढ़ाने के लिए यूपी एग्रीज ने पूर्वांचल और बुंदेलखंड के उन जिलों को चुना है, जिनका उत्पादन अपेक्षाकृत कम है।

छह साल में 30 प्रतिशत उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य

सरकार और संस्था को उम्मीद है कि वह किसानों, वैज्ञानिकों के जरिए नवाचार और तकनीक के प्रयोग इनपर 4000 करोड़ रुपये के निवेश के जरिए उत्पादकता में 30 फीसद तक वृद्धि कर सकते हैं। चूंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों की उत्पादकता पहले से अधिक है। ऐसे में बुंदेलखंड और पूर्वांचल के जिलों की बढ़ी उत्पादकता यूपी को दुनिया का फूड बास्केट बनने के राह पर अग्रसर करेगी। क्योंकि इसके बावजूद भी संभावना अभी बाकी रहेगी।

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