लखनऊ । एसटीएफ उत्तर प्रदेश को एसजीपीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट करके लगभग दो करोड़ रूपये की ठगी करने वाले गैंग के तीन सदस्यों को जनपद लखनऊ से गिरफ्तार करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई। गिरफ्तार अभियुक्तों का नाम हरिप्रिया प्रधान पत्नी भोलेष खमारी निवासी नागेन पल्ली नागेष्वर षिव मंदिर के पास, थाना टाउन, पोस्ट तोरा, बरगढ़, उड़ीसा, जितेन्द्र कुमार यादव पुत्र दषरथ लाल यादव नि0 83 सी/10 जेड ब्रिघू मार्ग, छोटा बघाड़ा, थाना कर्नलगंज, प्रयागराज, हितेष उर्फ ज्ञानचन्द्र पुत्र नगीना राम निवासी सोफीपुर जबानिया, थाना भुड़कुड़ा, गाजीपुर है।

पुलिस अधिकारी बनकर दो करोड़ रुपये खाते में करा लिया ट्रांसफर

विगत दिनों एसपीजीआई लखनऊ की एसोसिएट प्रोफेसर के मोबाइल पर किसी अज्ञात नम्बर से काल आया। जिस पर उनके द्वारा काल रिसीव करने पर कालर द्वारा स्वयं को सीबीआई मुम्बई का पुलिस अधिकारी बताकर कहा गया कि मनी लाड्रिंग का केस हुआ जिसमें आपके खाते का इस्तेमाल किया गया है।

इसी तरह बात करके उनको प्रभाव मे लेते हुए बैंक व उनकी सारी डिटेल प्राप्त कर लिया गया। जिसके उपरान्त लगभग पांच दिन से अधिक समय तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया एवं उनके खाते से लगभग दो करोड़ से अधिक का पैसा अपने खाते में ट्रान्सफर कर लिया गया। ठगी का अहसास होने पर इनके द्वारा साइबर क्राइम में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसी के बाद से इनकी गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा था।

अधिकारी बताकर किसी न किसी बहाने डराने का करते थे काम

गिरफ्तार अभियुक्तों ने पछूताछ में बताया कि हम लोगों का एक गिरोह है, जो लोगों के मोबाईल नम्बरों पर काल करके खुद को पुलिस/सीबीआई अधिकारी बताकर किसी न किसी बहाने से डराते-धमकाते है और उनकी व्यक्तिगत जानकारी लेकर उनके खाते से रूपये लेकर हम खुद से अरेंज करे हुए अलग- अलग लोगों के खातों में रूपये ट्रांस्फर करके उन रूपयों से हम लोग बायनेन्स ऐप पर पीटूपी के माध्यम से थर्ड पर्सन के खातों में रूपये ट्रांसफर कर यूएसडीटी की ट्रेडिंग करते है।

जिससे यह लोग यूएसडीटी आनलाइन खरीद कर आनलाइन ही बेच देते हैं। यदि उस यूएसडीटी को थर्ड पार्टी के माध्यम से बेचते हैं, तो उसके अच्छे दाम मिल जाते हैं। जिस कारण यह लोग अधिकतर थर्ड पार्टी ही बचेते हैं।

अन्य साथियों को गिरफ्तार करने में जुटी एसटीएफ

इस काम में यह लोग किसी न किसी से फ्राड करके लिए हुए पैसे सेे ही ट्रेडिंग करते है इसलिए यह लोग अपना एकाउण्ट इस्तेमाल न करक अलग-अलग लोगों को प्रलोभन देकर उनसे खाता खुलवाते है और उस खाते की किट (एटीएम, पासबुक, चेकबुक, रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर) अपने पास रख लेते हैं। जिससे कि ओटीपी व अन्य वेयरिफिकेशन में कोई समस्या न आय और पैसा आसानी से निकाला जा सके।

अभियुक्तों द्वारा बताये गये बैंक खाते, वालेट आदि की जानकारी व गिरोह के अन्य सदस्यो की गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे हैं। अभियुक्तों से बरामद इलेक्ट्रानिक उपकरणों का फारेंसिक परीक्षण कराया जोयेगा। उपराेक्त गिरफ्तार अभियुक्तों को थाना साइबर क्राइम में मुकदमा दर्ज किये जाने के बाद जेल भेज दिया गया।

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