लखनऊ । यूपी में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे हादसों का सड़क बनता जा रहा है। इस सड़क पर चलना खतरों से खाली नहीं है। चूंकि इस रोड पर तेज रफ्तार के चलते लगातार भीषण हादसे हो रहे है। इसके पीछे कहीं न कहीं पुलिस व यातायात विभाग जिम्मेदार है। चूंकि हाईवे पर सीसीटीवी कैमरे जरूर लगाये गये है लेकिन वह केवल शो पीस साबित हो रहे है।

नेशनल हाईवे पर वाहन फरार्टा भरते रहते है और उनका चालान तक नहीं कटता। पिछले पंद्रह दिनों में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हुए हादसों पर गौर किया जाए तो यहीं निकल कर आया की ज्यादातर हादसे या तो चालक को झपकी आने से या फिर स्पीड बहुत तेज होने के कारण हुई है। इसके बाद भी हादसों से निपटने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।

एक्सप्रेसवे पर रोड इंजीनियरिंग की दिख रही कमी

जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने जिस मंशा से यह एक्सप्रेसवे बनाया था क्या अब यह हादसों के लिए जाना जाएगा। ऐसे सवाल उठता है कि नेशनल हाईवे की टीम, ट्रैफिक की टीम, एनएचआई की टीम, ट्रैफिक व पुलिस विभाग की टीम क्या कर रही है। मुख्यमंत्री जो कि सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष होते है। उनके द्वारा लगातार कहा जा रहा है कि अभियान चलाकर सड़क हादसों पर लगाम लगाई जाए। सीएम के निर्देश पर यातायात विभाग द्वारा जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

इसके बाद भी एक्सप्रेस वे मौत के एक्सप्रेस वे बनते जा रहे है। साथ ही लगातार हादसों पर लगाम न लगना कई सारे सवाल खड़ा करता है। सड़क सुरक्षा को लेकर विभागीय तमगा क्यों गंभीर नहीं हो रहा है। जानकारों की माने तो एक्सप्रेस वे पर जो रोड इंजीनियरिंग है उसकी काफी कमी दिख रही है। इसकी सच्चाई पिछले दिनों आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे खुद बयां कर रहे है।

केस- 1

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे चालक को आई झपकी ने 25 जून को तीन लोगों की जान ले ली है। इस बार बोलेरो के ड्राइवर को झपकी आई तो उसकी गाड़ी डिवाइडर कूद कर दूसरी लेन में चली गई, इस दौरान सामने से आ रही एक कार से बोलेरो की टक्कर हो गई। इस हादसे में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

18 जुलाई में इसी एक्सप्रेसवे पर भीषण हादसा हो गया। जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि करीब 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही स्कॉर्पियो ट्रक में पीछे से घुस गई। हादसे में कार के परखच्चे उड़ गए और उसमें बैठे तीन दोस्तों की मौत हो गई। जबकि दो दोस्त की अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। हादसे के वक्त चालक पीछे की सीट पर बैठा था जो गंभीर रूप से घायल हुआ है।

केस-2

लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर उन्नाव जनपद में दस जुलाई सुबह लगभग साढ़े पांच बजे दूध के टैंकर में बिहार से आ रही डबल डेकर बस टकरा गई। हादसे में 18 यात्रियों की मौके पर मौत हो गई। 30 से ज्यादा घायल हो गए। यह बस सीतामढ़ी से दिल्ली जा रही थी। हादसे के बाद जांच में पता चला कि चालक को झपकी आ गयी जिसकी वजह से यह हादसा हो गया। इस हादसे को पीएम से लेकर सीएम तक ने संज्ञान में लिया और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिये थे। इस रोड पर जुलाई माह का सबसे बड़ा हादसा रहा है।

केस-3

जुलाई के अंत में फिर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर कार एक्सीडेंट में उप्र सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी के बेटा और बहू घायल हो गए। सूचना मिलते ही जिले के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए। दोनों घायलों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। इस हादसे में नंदी की बहू की नाक पर गंभीर चोट आई है। कार भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है।

केस-4

अब अगस्त में माह की बात की जाए तो अभी दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के इटावा में भीषण सड़क हादसे में सात लोगों की मौत हो गई। आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर डबल डेकर बस एक कार से टकरा गई। हादसे के समय बस में 60 लोग सवार थे और कार में तीन लोग थे। हादसे में कार में सवार सभी लोगों की मौत हो गई। वहीं, बस में बैठे चार लोगों की जान गई है। घटना के बाद पता चला कि एक्सप्रेस-वे पर कन्नौज के लिए साइड से कट बना है। इसलिए आगे न जाकर रॉन्ग साइड ही कार दौड़ा दी। बस रायबरेली से नई दिल्ली जा रही थी। उसकी स्पीड काफी तेज थी। अचानक कार सामने आने पर ड्राइवर बस को कंट्रोल नहीं कर पाया और हादसा हो गया।साथ ही कार और बस दोनों की स्पीड काफी थी।

केस-5

अगस्त माह की शुरूआत होते ही ताला नगरी अलीगढ़ में कंटेनर और कार की टक्कर में पांच लोगों की मौत हो गई। यहां सवारियों से भरी एक ईको कार की कंटेनर से सीधी भिड़ंत हो गई। हादसे में कार के परखच्चे उड़ गए और चीख पुकार मच गई। इस जबरदस्त हादसे में कार में सवार पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि पांच अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

तेज स्पीड व चालक को झपकी आने से हो रहे हादसे

पिछले दो माह के अंदर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हुए हादसों से एक बात जरूर निकल कर आयी कि हादसे या तो तेज स्पीड या फिर चालक को झपकी आने से हो रही है। अब सवाल उठता है कि वाहनों के तेज स्पीड पर अंकुश लगाने के लिए एक्सप्रेस वे जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे है। अगर निर्धारित मानक से जिन वाहनों की स्पीड ज्यादा होती है उनका आॅनलाइन चालान कट जाना चाहिए लेकिन इस तरफ जिम्मेदार विभाग का ध्यान तनिक भी नहीं है।

सीसीटीवी कैमरे लगे है उनमें ज्यादातर शो पीश

बताया जा रहा है कि जो सीसीटीवी कैमरे लगे है उनमें ज्यादातर शो पीश है। यह फिर रात के अंधेरे में वाहनों की रफ्तार को नहीं पकड़ पा रहे है। चूंकि ज्यादातर हादसे रात के अंधेरे में हो रहे है। अगर इसका कड़ाई से पालन होतो तो हाईवे पर वाहनों को फर्राटा भरते देखा जा सकता है। साथ ही हादसों पर भी अंकुश लगता। इसके साथ ही सड़क पर वाहन लेकर चलने वालों की जांच होनी चाहिए कि कहीं शराब के नशे में धुत होकर तो नहीं वाहन चला रहे है। इसमें कहीं न कहीं कमियां है।जिसके सुधार न होने के कारण हादसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

क्या बोले- एडीजी ट्रैफिक

अपर पुलिस महानिदेशक यातायात एवं सड़क सुरक्षा यूपी के सत्यनारायण ने बताया कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर लगातार हो रहे सड़क हादसों को देखते हुए बस व कार चालकों से अपील की जा रही है कि तेज स्पीड में वाहन न चलाये। चालक शराब पीकर वाहन तो नहीं चला रहे है। इसकी जांच स्थानीय पुलिस के सहयोग से ब्रीथ एनलाइजर के माध्यम से टोल प्लाजा के नजदीक करने का काम किया जाएगा। ताकि लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर होने वाले सड़क हादसों को रोका जा सके। तेज स्पीड से कार , बस व ट्रक चलाने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।

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