लखनऊ । स्कूलों में बच्चों को नहीं दिया जायेगा कोई दंड, शारीरिक व मानसिक दंड न देने के निर्देश जारी, बच्चों को फटकारना परिसर में दौड़ना प्रतिबंधित, चिकोटी काटना, चाटा मारना प्रतिबंधित, घुटनों के बल बैठना भी हुआ प्रतिबंधित, क्लास रूम में अकेले बंद करना भी हुआ प्रतिबंधित। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सरकार के निर्देश पर जारी किया शासनादेश। इस शासनादेश से शिक्षा विभाग में खलबली मच गयी है।
शिक्षा विभाग से जारी किया गया है यह शासनादेश
शासनादेश में बताया गया है कि बच्चों को शारीरिक दण्ड दिये जाने पर चिन्ता व्यक्त करते हुए बच्चों एवं उनके अधिकारों के प्रति असंवेदनशीलता तथा हिंसक संस्कृति का द्योतक मानते हुए हिंसा को पूर्णतया प्रतिबन्धित किया है। इसके साथ ही बच्चों को शारीरिक दण्ड में यथा- बच्चों को झाड़ना, फटकारना, परिसर में दौड़ना, चिकोटी काटना, छड़ी से पिटना, चिकोटी काटना, चाटा मारना, चपत जमाना, घुटनों के बल बैठाना, यौन शोषण, प्रताड़ना, क्लासरूम में अकेले बन्द कर देना, बिजली का झटका देना एवं अन्य सभी प्रकार के वे कृत्य जो अपमानित करके नीचा दिखाने, शारीरिक एवं मानसिक रूप से आघात पहुॅचाने और अन्ततः मृत्यु कारित करने वाले हों, सम्मिलित है ।
शासनादेश के बारे में बच्चों को जागरूक करने का निर्देश
उक्त शासनादेश में राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा समस्त राज्यों के शिक्षा विभाग को निम्नवत् निर्देश दिये गये है। समस्त बच्चों को व्यापक प्रचार-प्रसार के माध्यम से अवगत कराया जाये कि उन्हें शारीरिक दण्ड के विरोध में अपनी बात कहने का अधिकार है। इसे संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में भी लाया जाये ।प्रत्येक स्कूल जिसमें छात्रावास, जेजे होम्स, बाल संरक्षण गृह एवं अन्य सार्वजनिक संस्थाएं भी सम्मिलित है, में एक ऐसा फोरम बनाया जाये जहां बच्चे अपनी बात रख सकें। ऐसे संस्थानों को किसी एनजीओ की सहायता भी लेनी चाहिए ।
हर स्कूल में एक होनी चाहिए शिकायत पेटिका
शासनादेश के मुताबिक प्रत्येक स्कूल में एक शिकायत पेटिका भी होनी चाहिए जिसमें छात्र शिकायती पत्र अनाम शिकायती पत्र भी डाल सकें ।अभिभावक शिक्षक समिति अथवा समान प्रकृति की कोई अन्य समिति नियमित रूप से प्राप्त शिकायतों एवं कृत कार्रवाई की मासिक समीक्षा करें।अभिभावक शिक्षक समिति को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे प्राप्त शिकायतों पर बिना समय गवाये तत्परता से कार्यवाही करें ताकि कोई दारूण स्थिति न उत्पन्न हो सके। दूसरे शब्दों में अभिभावक शिक्षक समिति को शिकायत की गम्भीरता पर अपने विवेक का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं है।
अब शारीरिक दंड मिलने पर बच्चे कर सकते हैं शिकायत
अभिभावकों के साथ-साथ बच्चों को भी शारीरिक दण्ड के विरोध में भयमुक्त होकर अपनी आवाज उठाने के लिए अधिकृत किया जाये वगैर इस बात से भयाकान्त हुए कि इससे स्कूलों में बच्चों की भागीदारी पर कुप्रभाव पड़ेगा ।शिक्षा विभाग ब्लाक स्तर जनपद स्तर एवं राज्य स्तर पर ऐसी प्रक्रिया स्थापित करे जिससे बच्चों की शिकायतों एवं उन पर कृत कार्रवाई की समीक्षा की जा सके ।उक्त निर्देशों का व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये ।
किसी बच्चे का मानिसक उत्पीड़न नहीं किया जाएगा
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अध्याय 4 के बिन्दु सं0 17 ( 1 ) व ( 2 ) में निम्नलिखित प्राविधान किया गया है – 17 (1) में किसी बालक को शारीरिक दंड नहीं दिया जाएगा या उसका मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जाएगा। 17 ( 2 ) में जो कोई उपधारा (1) के उपबंधों का उल्लंघन करेगा, वह ऐसे व्यक्ति का लागू सेवा नियमों के अधीन अनुशासनिक कार्यवाई का दायी होगा। निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अध्याय 6 के बिन्दु सं0 31 ( 1 ) व 32 ( 1 ) में निम्नलिखित प्राविधान किया गया है झ्र 31 ( 1 ) में बालक के शिक्षा के अधिकार को मानिटर करना तथा बिन्दु सं0 32 ( 1 ) में शिकायतों को दूर करने का प्राविधान निर्धारित किया गया है।
जाति, धर्म, लिंग के आधार पर नहीं किया जाएगा का भेदभाव
उत्तर प्रदेश शासन, शिक्षा अनुभाग-5 के संख्या 2510 / 79-5-2011-29/09, लखनऊ, 27 जुलाई, 2011 के द्वारा उ०प्र० निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 प्रख्यापित की गयी है। उक्त नियमावली के भाग तीन नियम 5 के उपनियम 3 व 4 में निम्न प्राविधान किये गये नियम (3) स्थानीय प्राधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होगा कि विद्यालय में किसी बालक के साथ जाति, वर्ग, धर्म अथवा लिंग आधारित दुर्व्यवहार या भेदभाव न किया जाय तथा नियम ( 4 ) स्थानीय प्राधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि कक्षा में, मध्याह्न भोजन के दौरान, खेल के मैदानों में, सामान्य पेयजल एवं प्रसाधन सुविधाओं के प्रयोग में एवं प्रसाधनों अथवा कक्षाओं की सफाई में कमजोर एवं साधनहीन वर्ग के बालकों के साथ कोई विभेदकारी अथवा अलगाववादी व्यवहार न किया जाय ।
बाल हेल्पलाइन पर दर्ज करा सकेंगे अपनी शिकायत
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अथवा यथास्थिति शिक्षा अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (आर०ई०पी०ए०) द्वारा पत्र / दूरभाष / एस०एम०एस० के माध्यम युक्त सर्वसुलभ बाल हेल्प लाईन स्थापित की जायेगी तथा जो इस अधिनियम के अधीन अधिकारों के उल्लंघन के सम्बन्ध में पीड़ित बालक अथवा संरक्षक की शिकायत दर्ज करने के लिए मंच के रूप इस रीति से कार्य करेगी कि उसकी पहचान अभिलिखित की जायेगी, किन्तु उसे प्रकट नहीं किया जायेगा ।
इस तरह सुनी जाएगी बच्चों की शिकायत
प्रारम्भिक रूप से कोई शिकायत ग्राम शिक्षा समिति / वार्ड शिक्षा समिति को उसके सदस्य सचिव के माध्यम से की जायेगी। ग्राम शिक्षा समिति / वार्ड शिक्षा समिति के विनिश्चय के पश्चात् अपील, यथास्थिति विकास खण्ड स्तरीय सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी / नगर शिक्षा अधिकारी को की जा सकती है।
द्वितीय अपील उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अधिनियम, 1972 की धारा-10 के अधीन ग्रामीण क्षेत्र से सम्बन्धित मामलों के लिए जिला पंचायत को और धारा 10- क के अधीन नगरीय क्षेत्र से सम्बन्धित मामलों के लिए नगरपालिका को की जा सकती है। समस्त शिकायतों का अनुश्रवण, उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद् द्वारा ऑनलाइन क्रियाविधि के आधार पर पारदर्शी और तत्परतापूर्ण कार्यवाही के माध्यम से किया जायेगा ।
प्रथम अध्याय में विस्तृत से दण्ड के विविध प्रकारों का विवरण
प्रदेश के विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों को उनके अधिकारों से परिचित कराने तथा उनके प्रति भेदभाव न किये जाने के सम्बन्ध में ” सुरक्षा एवं संरक्षा प्रशिक्षण मॉड्यूल” राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा तैयार किया गया है। इस मॉड्यूल के अन्तर्गत अध्यापकों को वृहद रूप से छात्र – छात्राओं के सुरक्षा एवं संरक्षा के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है ।
जिसके अन्तर्गत मुख्यतः निम्नलिखित विषय बिन्दुओं को सम्मिलित किया गया है- सुरक्षा एवं संरक्षाः अभिप्राय एवं आयाम, विद्यालय स्तर पर स्वस्थ एवं सुरक्षित वातावरण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, साइबर सुरक्षा एवं अन्य सुरक्षा सम्बन्धी मुद्दे, कानूनी प्रावधान एवं नीतियाँ, शिकायत निवारण तंत्र, विभिन्न स्तरों पर हितधारक, उनकी जिम्मेदारियाँ एवं अपेक्षाएँ, सुरक्षा संरक्षा किट एवं आकस्मिक चिकित्सा, बाल सुरक्षा एवं संरक्षा समिति, सुरक्षा योजना निर्माण के चरण जिसके प्रथम अध्याय में विस्तृत से दण्ड के विविध प्रकारों का विवरण दिया गया ।
अब बच्चे के साथ यह काम नहीं कर पाएंगे शिक्षक
विद्यालयों में शारीरिक भावात्मक उत्पीड़न के सामाजिक उत्पीड़न उत्पीड़न के सामान्य रूप (शिक्षक रूप में के रूप में यौन क्षेत्र में ‘सुरक्षा एवं संरक्षा तथा यौन उत्पीड़न / लैंगिक अपराध भेदभाव, बच्चों को अश्लील भेदभाव सामग्री दिखाना, बच्चों उत्पीड़न, जातिगत उत्पीड़न, लैंगिक (महिला और पुरूष), के निजी अंगों को आधार छूना, बच्चों व्यवहारात्मक, पर भेदभाव, या आधारित पंच मारना, नोचना, मौखिक धक्का देना, लात मानसिक मारना, थप्पड़ मारना, मनोवैज्ञानिक कान ऐंठना
हाथ दुर्व्यवहार, बच्चे को वर्ण, रंग केआकार आपत्तिजनक तस्वीर भेदभाव, लेना, आपत्तिजनक से / छड़ी से / लोहे गंभीर की रॉड से मारना, भावात्मक उँगली के पोर पर मानसिक मारना, बच्चे की पीठ पहुँचाना, बन्द कमरे अपमानजनक तरीके पर मारना, एक बच्चे व अंधेरे कमरे में से जाति के नाम से सदमा पैतृक व्यवसाय, गतिविधियाँ करना, विडियो बनाना, दुपट्टा खींचना, जब बच्चो को बन्द करना, पुकारना, पैतृक पेशे लड़कियाँ घर / बच्चे को लम्बे समय के के लिए कुर्सी से बाँध देना व बच्चे को डराना / घमकाना आदि ।
दूसरे बच्चे के सिर से लड़ाना भी पड़ेगा भारी
आधार पर विद्यालय जा रही हों तो उन पर भद्दी टिप्पणी करना, लड़कों द्वारा लड़कियों को नजरिये से अपमानित करना, अलग बैठाना, कक्षा में पीछे बैठने के लिए कहना, मिड-डे-मील गलत के लिए एक साथ न बैठाना, वंचित वर्ग के बच्चों द्वारा कोई प्रश्न पूछने पर अध्यापक के सिर को दूसरे बच्चे के सिर से लड़ाना, बच्चे को किताब कॉपी न लाने के लिये के लिये खड़ा करना, बच्चे के सिर पर वज़न रखकर बच्चे के साथ बुरा खड़ा करना, बच्चे को व्यवहार करना जैसे कुर्सी के आकार आँखें तरेरना
कक्षा से में / मुर्गा बनाकर / धूप बाहर करना, कक्षा में में खड़ा करना / बच्चे नज़रअंदाज करना, द्वारा उत्तर न देना को खेल के मैदान के बच्चों को बार-बार आदि । चारों तरफ या टोक कर यह विद्यालय के चारों अहसास दिलाना कि तरफ दौड़ाना, बच्चे वो किसी काम को उठक-बैठक नहीं है, बच्चों को एक से थप्पड करवाना, बच्चे के दूसरे सिर को दीवार से मरवाना व अपशब्दों लड़ाना ।
शिक्षकों को इनके बारे में दिया जाएगा प्रशिक्षण
अतः जनपदों के समस्त निजी प्रबन्धतन्त्र द्वारा संचालित विद्यालयों को प्रशिक्षण मॉड्यूल की सॉफ्ट प्रति प्रेषित करते हुए यह निर्देश प्रेषित करे कि प्रशिक्षण मॉड्यूल में दिये गये बच्चों के सुरक्षा संरक्षा से सम्बन्धित विभिन्न आयामों से सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित कराना सुनिश्चित करें ।
परिषदीय विद्यालयों में निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष सभी शिक्षक / शिक्षिकाओं को ऑफ लाइन मोड में उक्त प्रशिक्षण प्रदान करने की कार्यवाही पूर्ण की जाये एवं इसके साथ ही यदि शिक्षक / शिक्षिकायें अवशेष रहते है तो उन्हें ऑनलाइन मोड में बी०आर०सी०/ संकुल की बैठक के माध्यम से सुरक्षा एवं संरक्षा के विभिन्न मॉडयूल के आयामों पर आधारित प्रशिक्षण प्रदान किया जाये। यदि किसी शिक्षक द्वारा दिये गये निर्देशों का उल्लंघन किया जाता है तो ऐसी स्थिति में प्राविधानित दण्डों के बारे में भी अवगत कराया जाये ।