लखनऊ । विधानसभा सत्र से पहले समाजवादी पार्टी ने विधायक दल की बैठक बुलाई। जिसमें काफी चिंतन और मंथन के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। अखिलेश यादव ने निर्देश दिए हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार हो रहे विधानमंडल सत्र में पूरी तैयारी के साथ उतर जाएं और जनहित के मुद्दे प्रमुखता से उठाए जाएं। इनमें किसानों, जातीय गणना और कानून-व्यवस्था प्रमुख मुद्दे होंगे। माना जा रहा है कि अखिलेश ने पीडीए के बाद ब्राह्राण कार्ड चला है।
विधायक महबूब अली को अधिष्ठाता मंडल नियुक्त
जानकारी के लिए बता दें कि इस दौड़ में शिवपाल यादव व इंद्रजीत सरोज का नाम भी तेजी से चल रहा था, लेकिन अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडे को उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया। इसके अलावा सपा ने विधायक महबूब अली को अधिष्ठाता मंडल, कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक और राकेश कुमार उर्फ आरके वर्मा को उप सचेतक नियुक्त किया है।
गौरतलब है कि इससे पहले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव खुद थे। अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल सीट से विधायक थे। माता प्रसाद पांडे सिद्धार्थनगर की इटवा सीट से विधायक हैं। वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं।
सात बार से विधायक हैं माता प्रसाद पांडेय
आपको बता दें कि माता प्रसाद सात बार से विधायक हैं। वह मुलायम और अखिलेश सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं। साथ ही इन्हें शिवपाल यादव का बेहद करीबी माना जाता है। अभी सिद्धार्थनगर की इटावा से विधायक हैं। दो बार विधानसभा अध्यक्ष रहे और मुखर वक्ता होने के कारण अन्य पार्टियों में इनकी गहरी पैठ है।
साथ ही सबसे बड़ी बात यह है कि यह सपा में एक बड़ा ब्राह्राण चेहरा है। बताया जा रहा है कि वैसे तो बैठक के बाद अंतिम फैसला अखिलेश यादव पर छोड़ दिया गया था। चूंकि ज्यादातर विधायक शिवपाल को चाहते थे लेकिन परिवारवाद के आरोप से बचने के लिए अखिलेश यादव को यह बड़ा फैसला लेना पड़ा।
मुलायम के बेहद करीबी रहे कमाल अख्तर
कमाल अख्तर की बात की जाए जिन्हें मुख्य सचेतक बनाया गया है। वह भी मुलायम यादव के बेहद करीबी रहे है। 2004 में कमाल अख्तर को सीधे राज्यसभा भेज दिये गए थे। अगर कहा जाए तो इनकी राजनीतिक शुरूआत राज्यसभा सदस्य बनने के बाद हुई। साल 2012 में सपा ने कमाल अख्तर को अमरोहा की हसनपुर सीट से मैदान में उतारा था।
कमाल अख्तर ने जीत दर्ज की और उन्हें पंचायती राज मंत्री बना दिया गया। इसके बाद साल 2014 का लोकसभा चुनाव आया तो कमाल अख्तर की पत्नी हुमैरा अख्तर को अमरोहा सीट से चुनाव लड़ा दिया गया लेकिन हुमेरा जीत नहीं पायी और दूसरे स्थान पर रही। साल 2015 में कमाल अख्तर को अखिलेश यादव ने खाद्य एवं रसद विभाग का कैबिनेट मंत्री बना दिया।