गोरखपुर। अपने आपको शसक्त बनाने के लिए बेटियां हर फील्ड में काम कर रही है। वह चाहे कोई भी फील्ड हो। गोरखपुर में बेटियां रोडवेज के वर्कशाप में खटारा बसो को पुरुषों के साथ मिलकर ठीक कर रही है। इन बेटियो ने आईटीआई किया है और परिवहन निगम के राप्तीनगर वर्कशॉप पर बसो के इंजन को बना रही है। इनकी नियुक्ति मानदेय पर की है जो कि दो वर्षों से यहाँ पर अपनी सेवा दे रही है। लेकिन इनका मानदेय बहुत कम है। इनको 7800 रुपये महीने पर रखा गया है।
कचरे लगने का नहीं करतीं है परवाह
यह बेटियां अपने सौंदर्य का प्रवाह न करते हुए ग्रीस से सने बसों के इंजन को बनाती है। बेटियों का कहना है कि हमको यह काम करने में अच्छा लगता है। हम लोग किसी से कम नहीं है। जो काम पुरुष कर सकते है वह हम भी कर सकते है. खराब बसो का बेल्ट, आइवाल, क्राउन व पिस्टन को बनाने का काम करती है। इनके साथ काम करने वाले पुरुष कर्मचारी भी इनका लगातार हौसला अफजाई करते रहते हैं ।
बेटियों का मनोबल देखकर अधिकारी व कर्मचारी खुश
अधिकारी भी इन पर विशेष नजर बनाए रखते हैं और उनके मनोबल को बढ़ाने का कार्य करते हैं। बेटियों को अपने बीच पाकर कर्मचारी भी कहते हैं कि इन्हें देखकर हमें भी शक्ति मिलती है क्योंकि उनके मनोबल और उत्साह के साथ किए जाने वाले कार्य लगातार सफल होते रहे हैं। इन्होंने मिलकर 100 से अधिक रोडवेज की खटारा बसों को सड़कों पर दौड़ने का कार्य किया है। रोडवेज में इनके कार्यो की सराहना खूब हो रही है।