लखनऊ। बारिश के दिनों में डेंगू के फैलने की संभावना अधिक होती है। इसलिए जुलाई माह को डेंगू रोधी माह के रूप में मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य डेंगू तथा चिकनगुनिया रोग पर प्रभावी रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए व्यापक जन जागरूकता फैलाना तथा अन्य विभागों व जनसामान्य का सहयोग लेना है। सयुंक्त निदेशक मलेरिया एवं वीबीडी डॉक्टर विकास सिंघल ने बताया कि राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निदेर्शों का अनुपालन करते हुए डेंगू रोधी माह मनाये जाने के निर्देश सभी जिलों को दिए जा चुके हैं।

यह जिले डेंगू के लिए सबसे अधिक संवेदनशील

वैसे तो डेंगू का प्रसार पूरे प्रदेश में ही है लेकिन 8 (लखनऊ, झांसी, बरेली, अयोध्या, बाराबंकी, प्रयागराज, गोंडा एवं कानपुर नगर) जनपद संवेदनशील हैं। इस साल जनवरी से अब तक कुल 352 डेंगू के केस सामने आये हैं। डेंगू एडीज मच्छर से होने वाला रोग है। मानसून और उसके बाद की अवधि में डेंगू बुखार का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए डेंगू पर प्रभावी नियंत्रण के लिए निवारक गतिविधियों में तेजी लाने पर जोर है जिससे कि किसी भी तरह के आउटब्रेक से बचा जा सके। डेंगू की जनजागरूकता पर इसलिए जोर है क्योंकि डेंगू की कोई वैक्सीन नहीं है।

डेंगू से निपटने के लिए चलाया जा रहा अभियान

ऐसे में डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सोर्स रिडक्शन गतिविधियों में समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण है। समुदाय सजग रहे और जिम्मेदार बनें और वह मच्छरजनित परिस्थियों को उत्पन्न ही न होने दे तो काफी हद तक डेंगू व अन्य मच्छरजनित बीमारियों को रोका जा सकता है। हम तैयारियों को लेकर बात करें तो प्रदेश में डेंगू सहित अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय मार्च महीने से ही शुरू कर दिए गए थे। वर्तमान में भी यह की जा रही है क्योंकि संचारी रोग नियंत्रण अभियान चल रहा है।


सभी अस्पतालों में बनाये गए डेंगू वार्ड

डेंगू के प्रसार को रोकने हेतु डेंगू के मामलों में केस आधारित गतिविधि की जाती है जिसमें डेंगू के संभावित मरीजों और पुष्ट मरीजों के इलाज पर जोर दिया जा रहा है। सभी अस्पतालों में डेंगू वार्ड बनाये गए हैं जहाँ मच्छरदानी युक्त बेड हैं। इसके साथ ही डेंगू सहित अन्य वेक्टरजनित बीमारियों के मामलों की रिपोर्टिंग के लिए यूडीएसपी पोर्टल भी विकसित किया गया है जिसके बाद से मामलों की रिपोर्टिंग और प्रारंभिक निवारक गतिविधियों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। डेंगू और चिकनगुनिया की जाँच के लिए प्रदेश में पर्याप्त मात्र में एनएस1 और आईजीएम एलाइजा किट उपलब्ध है।

डेंगू होने पर घबराने की जरूरत नहीं

डाक्टर सिंघल बताते हैं कि डेंगू के हर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती। ये जांच करने वाले चिकित्सक की सलाह पर निर्भर है। यदि मरीज को उल्टी आ रही है, पेट मे तेज दर्द है, सांस लेने में कठिनाई है, रक्तचाप गिर रहा है, घबराहट हो रही है, बहुत कमजोरी महसूस हो रही हो या शरीर मे कहीं भी रक्तस्राव हो रहा हो तो ऐसी दशा मे तुरंत भर्ती करा कर पूर्ण इलाज करना चाहिए। डेंगू में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि शरीर में पानी की कमी न होने पाए क्योंकि पानी की कमी से मरीज शॉक में चला जाता है।

डेंगू होने पर तरल पदार्थ का करते रहे सेवन

इसलिए डेंगू होने पर ओ आर एस का घोल, तरल पेय पदार्थ का सेवन करें। डेंगू के उपचार में फ्लूड मैंजमनेट ही महत्वपूर्ण है। डेंगू की पुष्टि होने पर घबराने की जरूरत नहीं है। अधिकांश मामलों में इस बीमारी को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। केवल कम प्लेटलेट काउंट ही प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन का संकेत नहीं है, योग्य चिकित्सक से परामर्श के बाद ही इसकी आवश्यकता होती है, वह भी दुर्लभ मामलों में।

मच्छरों से बचने के उपाय


-सोते समय मच्छर दानी या मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करें।
-पूरी बांह के कपड़े पहने।
-घर की खिड़की और दरवाजों पर जाली लगवाएं।
-कूलर और जलजमाव वाले स्थानों की सफाई करें।
-यदि कहीं पानी इकट्ठा है तो उसमें जला हुआ मोबिल आॅयल डाल दें।
-घर में गमलों , फ्रिज की ट्रे, शो प्लांट अदि में पानी न इकट्ठा होने दें।

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