लखनऊ । भोले बाबा की अजीबो गरीब कहानी है। जिसे सुनने के बाद आप भी हैरान हो जाएंगे। भोले बाबा पहले पुलिस की नौकरी करते थे लेकिन बीच में उसे छोड़कर बाबा बन गए । इनका रुतबा ऐसा रहा कि मायावती की सरकार में लाल बत्ती की कार में इनका काफिला चलता था। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि भोले बाबा साधु संत का वस्त्र पहनने के बजाय सफेद पैंट शर्ट पहनते है।

भोले बाबा कासगंज जिले के पटयाली का रहने वाले

जानकारी के लिए बता दें कि सूरजपाल सिंह उर्फ साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा कासगंज जिले के पटयाली का रहने वाले है। कई साल पहले इन्होंने पुलिस कांस्टेबल की नौकरी को छोड़कर भक्ति मार्ग पर चल पड़े और लोगाें के बीच जाकर सत्संग करना शुरू कर दिया। इनका पहनावा भी सबसे अलग है। अधिकतर वह महंगे चश्मे, सफेद पैंट-शर्ट पहनता है। गरीब और वंचित तबके के लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। इसलिए जहां कहीं इनका सत्संग होता हो वहां पर भारी भीड़ जमा होती है।

यूपी ही नहीं मध्य प्रदेश व राजस्थान में इनके लाखों अनुयायी


उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में उसके लाखों अनुयायी हैं। बाबा ने अपने पैतृक गांव बहादुरनगर में बड़ा आश्रम बना रखा है, जहां हर महीने के पहले मंगलवार को सत्संग होता है। बाबा आश्रम में हो या न हो, भक्तों का हुजूम लगा रहता है। पुलिस पृष्ठभूमि के चलते बाबा पुलिस के तौर-तरीकों को जानता है। इसी से उसने वर्दीधारी स्वयंसेकों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी कर दी।  एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग में गहरी पैठ…बाबा खुद जाटव हैं। एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग में उसकी गहरी पैठ है। मुस्लिम भी उनके अनुयायी हैं।

बसपा सरकार में इनका था बड़ा रूतबा


नारायण साकार हरि यानी भोले बाबा का बसपा सरकार में बड़ा ही रूतबा था। बसपा सरकार में भोले बाबा लाल बत्ती की गाड़ी में सत्संग स्थल तक पहुंचते थे। उनकी कार के आगे आगे पुलिस एस्कॉर्ट करते हुए चलती थी। बसपा सरकार में तत्कालीन जनप्रतिनिधि उनके सत्संग में शामिल होने पहुंचते रहे। सत्संग स्थल पर पुलिस की जगह उनके स्वयंसेवक ही कमान संभालते हैं। 

सत्संग में सेवा के लिए पुलिसकर्मी भी छुट्टी लेकर पहुंचते रहे


सत्संग में सेवा के लिए पुलिसकर्मी भी छुट्टी लेकर पहुंचते हैं। सत्संग में पूरी व्यवस्थाएं स्वयंसेवकों के हाथ में ही होती हैं। इनमें कई पुलिसकर्मी हैं, जो बाबा की सुरक्षा में तैनात रहने के साथ सत्संग स्थल पर व्यवसथाएं संभालते हैं। स्वयंसेवक गुलाबी रंग की यूनिफॉर्म में सत्संग स्थल से लेकर शहर की सड़कों पर तैनात रहते हैं। इनका सत्संग कही न कही चलता रहता है। हाथरस की तरह हर जगह सत्संग में इनके बहुत ही भीड़ उमड़ती है।

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