रायबरेली। लोक सभा सीट रायबरेली से कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी की बम्पर जीत हुई है। उन्होंने करीब 3 लाख 90 हजार वोटों से अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को हराया है। रायबरेली से राहुल गांधी की इस जीत के साथ ही गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी का रायबरेली से संसदीय पारी की शुरुआत हो गई। दादा फ़िरोज,दादी इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी के बाद राहुल रायबरेली से सांसद निर्वाचित हुए हैं।

कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी को कुल 687649 वोट मिले

मंगलवार शाम आये परिणाम में कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी को कुल 687649 वोट मिले हैं, जबकि भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 297619 वोट,बसपा के ठाकुर प्रसाद यादव को 21624 वोट मिले हैं। चौथे नम्बर पर अखिल भारतीय अपना दल के दिलीप सिंह को 8678 वोट मिले हैं। नोटा को 7822 वोट के साथ पांचवां स्थान मिला है।

निर्दलीय होरीलाल को 5399,भारतीय पंचशील पार्टी के सुदर्शन राम को 4345,मानवतावादी समाज पार्टी के हिन्द रोहिताश्व को 3859,अपना दल(कमेरवादी) के मो मोबीन को 2174 वोट मिले हैं।जिला निर्वाचन अधिकारी हर्षिता माथुर ने कांग्रेस नेताओं को जीत का प्रमाणपत्र दिया।उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी 2004,2009,2014 में अमेठी से सांसद चुने गए। 2019 में अमेठी से उनकी हार हुई। हालांकि वायनाड से चुनकर वह संसद पहुंच गए। राहुल गृह, विदेश व मानव संसाधन मंत्रालय की संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं।

राहुल ने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली और देहरादून से की

19 जून 1970 को जन्मे राहुल गांधी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली और देहरादून से की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के हावर्ड,कैम्ब्रिज और ट्रिनिटी विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की। राहुल गांधी देश के सबसे मजबूत राजनीतिक परिवार से आते हैं और राजनीति उन्हें विरासत में मिली। 2017 में उन्हें कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इसके पहले वह पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे। वह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव, उपाध्यक्ष, युवक कांग्रेस व एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी भी रहे हैं। 2019 में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफ़ा दे दिया था।

रायबरेली लोकसभा सीट का इतिहास

शुरू से ही कांग्रेस की सुरक्षित लोकसभा सीट रही रायबरेली में पहला चुनाव 1952 में हुआ था। उस समय कांग्रेस के टिकट पर फिरोज गांधी यहां से सांसद चुने गए थे। उन्होंने 1957 के चुनाव में भी अपनी जीत कायम रखी। हालांकि 1960 में उपचुनाव हुआ तो कांग्रेस के ही टिकट पर आरपी सिंह और फिर 62 के चुनाव में बैजनाथ कुरील यहां से सांसद चुने गए। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1967 और 1971 का चुनाव यहां से जीतीं। हालांकि 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर राज नारायण ने उन्हें हरा दिया।

इस सीट पर बीजेपी की यह आखिरी जीत थी

इसके बाद वह तीसरी बार 1980 का चुनाव यहां से जीतीं, हालांकि उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दिया तो उसी साल उपचुनाव हुए और कांग्रेस के अरुण नेहरु सांसद चुने गए। वह 1984 के चुनाव में भी जीते। 1989 और 1991 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर शीला कौल जीतीं। फिर 1996 और 98 का चुनाव बीजेपी के पक्ष में रहा और अशोक सिंह सांसद चुने गए। इस सीट पर बीजेपी की यह आखिरी जीत थी।

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