विनीत वर्मा,लखनऊ।केंद्रीय गृह मंत्रालय, सूचना प्रसारण मंत्रालय एवम उत्तर प्रदेश पुलिस के संयुक्त तत्वावधान में तीन नए आपराधिक कानूनों पर पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी लखनऊ) के द्वारा मीडियाकर्मियों के लिए पुलिस मुख्यालय में वार्तालाप कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस नए कानूनों को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
1 जुलाई को हर थाने पर होगा विशेष कार्यक्रमों का आयोजन
उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी पुलिस अधिकारियों को ट्रेनिंग व परीक्षा लेकर और तकनीक से परिचित कराकर नए कानूनों से अवगत कराया गया है। प्रशांत कुमार ने कहा कि आगामी 1 जुलाई को जब ये कानून लागू होंगे तो हर थाने पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों में इस बात का ध्यान रखा गया है कि किसी शिकायत के समाधान में उससे जुड़े किसी भी पक्ष का उत्पीड़न न हो। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023 में ये सुनिश्चित किया गया है कि अपराध के मामले में पीड़ित को तय समय सीमा में न्याय मिले ।
सूचना दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी
नए आपराधिक कानूनों में आतंकवाद और संगठित अपराध जैसे नए विषय भी शामिल किए गए हैं।उत्तर प्रदेश पुलिस के अपर महानिदेशक प्रशिक्षण सुनील कुमार गुप्ता ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गयी है जिससे सूचना दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा।
पुराने कानूनों को भूलकर नए कानूनों का अनुसरण करे
प्रदेश पुलिस की महानिदेशक (प्रशिक्षण) तिलोत्मा वर्मा ने कहा कि नए कानूनों से पुलिस अधिकारियों को अवगत कराने के लिये पूरे प्रदेश में वृहद स्तर पर प्रशिक्षण कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि ये एक चुनौती होगी कि लोग पुराने कानूनों को भूलकर नए कानूनों का अनुसरण करे । उन्होंने कहा कि नए कानूनों के क्रियान्वन के लिये यूपी पुलिस पूरी तरह से प्रतिब्द है। कार्यक्रम में एडीजी अभियोजन दीपेश जुनेजा और एडीजी प्रशिक्षण बी. डी. पॉलसन एडीजी तकनीक नवीन अरोरा तथा सूचना प्रसारण मंत्रालय के अपरमहानिदेशक विजय कुमार, उपनिदेशक डा. एम.एस. यादव और संयुक्त निदेशक दिलीप शुक्ल मौजूद रहे।
तीन नए कानून का मकसद सजा के बजाय न्याय देना
नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, के 25 दिसंबर 2023 को कानून बनने के साथ ही भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत हुई है। पुराने कानून हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कार्रवाई को प्राथमिकता देने की बजाय ब्रिटिश ताज की सुरक्षा को प्राथमिकता देते थे। तीन नए प्रमुख कानूनों का मकसद सजा देने की बजाय न्याय देना है। भारतीय आत्मा वाले इन तीन कानूनों से पहली बार हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों से चलेगी।
यह कानून तारीख पे तारीख’ के चलन की समाप्ति सुनिश्चित करेंगे
नए आपराधिक कानून 1 जुलाई 2024 से प्रभावी होंगे। इन कानूनों के लागू होने के बाद से लेकर अदालत के निर्णय तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी और भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में आधुनिक तकनीक का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाला देश बन जाएगा। यह कानून तारीख पे तारीख’ के चलन की समाप्ति सुनिश्चित करेंगे और देश में एक ऐसी न्यायिक प्रणाली स्थापित होगी जिसके जरिए तीन वर्षों के भीतर न्याय मिल सकेगा।
बच्चों की सुरक्षा
– बच्चों से अपराध करवाना, आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय अपराध
– नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल
– नाबालिग से गैंगरेप पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड
– पीड़ित का अभिभावक की उपस्थिति में दर्ज होगा बयान
महिला अपराधों में ज्यादा सख्ती
– गैंगरेप में 20 साल की सजा, आजीवन कारावास
– यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छिपाना अब अपराध
– पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दर्ज होगा
नए कानूनों में ये खास
– तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी जरूरी
– घटनास्थल की वीडियोग्राफी डिजिटल लॉकर में होगी सुरक्षित
– 90 दिन में शिकायतकर्ता को जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य
– गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी
– इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत के तीन बाद थाने जाकर कर सकेंगे हस्ताक्षर
– 60 दिन के भीतर आरोप होंगे तय, मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन में निर्णय
– डिजिटल एवं तकनीकी रिकॉर्ड दस्तावेजों में शामिल
– वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हो सकेगी न्यायालयों में पेशी
– सिविल सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिन में निर्णय अनिवार्य
– छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य
– पहली बार अपराध पर हिरासत अवधि कम, एक तिहाई सजा पूरी करने पर जमानत