लखनऊ। बारिश के मौसम में डायरिया का खतरा बढ़ जाता है। इसी लिए मानसून आने से पहले यूपी में एक जुलाई से डायरिया रोकाे अभियान शुरू होने जा रहा है। यह अभियान 31 अगस्त तक चलेगा। इस संबंध में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की तरफ से स्वास्थ्य विभाग के संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये है। इस साल की थीम है डायरिया की रोकथाम, सफाई एवं ओआरएस से रखें अपना ध्यान रहेगा।

अभियान का लक्ष्य बाल मुत्यु दर में कमी लाना

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एव चिकित्सा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने राज्यस्तरीय समन्वय बैठक में यह निर्देशित किया कि इसे अंतर्विभागीय समन्वय के साथ विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान ‘दस्तक’ के साथ चलाया जाए।राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डा.पिंकी जोवल का कहना है कि स्टॉप डायरिया अभियान के पीछे का लक्ष्य बचपन में डायरिया के कारण होने वाली शून्य बाल मृत्यु को प्राप्त करना है। नई रणनीति में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को सह-पैकेजिंग के रूप में दो ओआरएस पैकेट और जिंक की पूर्व-स्थिति के साथ दो महीने का अभियान शामिल है।

दस्त के दौरान ओआरएस घोल एवं जिंक की गोली का सेवन करें

अभियान में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दूषित जल की आपूर्ति होने पर सूचना स्वास्थ्य एवं नगर निगम के अधिकारियों को दी जाए। यदि बच्चा दो या अधिक दिन से विद्यालय नहीं आ रहा है तो न आने का कारण पता लगाया जाए।महाप्रबंधक बाल स्वास्थ्य डॉ सूर्यान्शु ओझा ने बताया कि दस्त के दौरान ओआरएस घोल एवं जिंक की गोली का सेवन करना चाहिए। यदि इसके उपयोग के बाद भी दस्त ठीक न हों तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं।

च्चों को उनकी उम्र के अनुसार जिंक की गोलियां देनी चाहिए

दस्त बंद होने के बाद भी दो माह से पांच साल तक की आयु के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार जिंक की गोलियां देनी चाहिए। दो माह से छह माह तक की आयु के बच्चों को 14 दिनों तक जिंक की आधी गोली माँ के दूध के साथ और सात माह से पांच साल तक की आयु के बच्चों को एक गोली जरूर दें। जिंक के सेवन से अगले दो से तीन माह तक दस्त होने की आशंका नहीं होती है।

जिंक की 23.87 करोड़ गोलियां उपलब्ध

उन्होंने बताया कि ओआरएस के 1.45 करोड़ पैकेट और जिंक की 23.87 करोड़ गोलियां उपलब्ध हैं। इस दौरान स्वास्थ्य केन्द्रों और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ओआरएस एवं जिंक कॉर्नर बनाए जाएंगे।अभियान के दौरान आशा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और प्राथमिक विद्यालयों में ओआरएस डिपो बनाकर ओआरएस एवं जिंक की गोलियों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी। जिस घर में पांच साल से कम आयु के बच्चे हैं, उन्हें प्रति बच्चा ओआरएस के दो पैकेट दिए जाएंगे। इसके साथ ही समुदाय को ओआरएस एवं जिंक के उपयोग के लिए जागरूक किया जाएगा।

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