लखनऊ । पश्चिमी यूपी में प्रथम चरण में आठ लोकसभा सीटों पर सबसे पहले होना है। इसीलिए सभी राजनीतिक दलों के नेता अपनी प्रत्याशियों को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा ने मेरठ में अपनी पहली चुनावी रैली का आगाज किया। जिसमें प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे थे। चूंकि भाजपा अपनी 2014 की स्थिति पाने के लिए बेताब है तो वहीं सपा और बसपा अपनी-अपनी सीटें बचाने के लिए जुझ रही हैं। इस बार भाजपा की चुनावी रणनीति ने सपा को रामपुर, गौतमबुद्धनगर और मुरादाबाद से उम्मीदवार को बदलने के लिए विवश किया है।

अब इस बदलाव से सपा को फायदा होगा या नुकसान यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इससे भाजपा नेताओं को सपा में भीतरघात का अंदेशा है।प्रथम चरण में उप्र की सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत में चुनाव होने हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन थे। इन सीटों में तीन पर बसपा तथा दो पर सपा की साइकिल दौड़ी थी। वहीं भाजपा के खाते में तीन सीटें ही थीं। जबकि 2014 में सभी सीटें भाजपा के नाम थीं।

प्रथम चरण में आठ सीटों पर होना है चुनाव

जानकारी के लिए बता दें कि इन आठ सीटों पर बात करें तो भाजपा को कुल 42,30,380 वोट मिले थे। वहीं सपा, बसपा और रालोद के संयुक्त उम्मीदवारों को इन आठ सीटों पर 43,43,132 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस इनमें से पांच सीटों पर ही चुनाव लड़ी थी। दो सीटों पर सपा-बसपा उम्मीदवारों को समर्थन दिया था। कांग्रेस को कुल मिलाकर 195200 वोट मिले थे। अर्थात पिछले चुनाव में सपा, बसपा और रालोद के संयुक्त उम्मीदवारों से भाजपा के 1,12,752 मत कम थे।

इस बार बसपा अलग है और उसने भी सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। बसपा ने जब 2014 में अपने अलग उम्मीदवार उतारे थे तो सभी आठ सीटों को मिलाकर 14,80,760 वोट मिले थे अर्थात न्यूनतम उसके इतने मत पाने का अनुमान लगाया जा सकता है। सपा, बसपा और रालोद से बसपा के 2014 के पाये वोट को कम कर दिया जाय तो संयुक्त प्रत्याशियों को 28,62,362 मत होते हैं।

सपा और बसपा ने कई स्थानों में अपने जीते हुए प्रत्याशी को बदल दिया

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रथम चरण के आठ सीटों पर भाजपा पुन: 2014 की स्थिति को दोबारा से दोहरा सकती है। चूंकि ज्यादातर जगहों पर भाजपा ने अपने पुराने उम्मीदवार पर ही भरोसा जताया है। जबकि सपा और बसपा ने कई स्थानों में अपने जीते हुए प्रत्याशी को बदल दिया है। साथ ही जयंत चौधरी का भाजपा के साथ जाना है। पिछली बार मुजफ्फरनगर से रालोद का ही उम्मीदवार खड़ा था।

दूसरी तरफ भाजपा ने पीलीभीत से अपने सासंद वरूण गांधी का टिकट काटकर भाजपा ने जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है। यहां भाजपा में भीतरघात होने की संभावना जतायी जा रही है, हालांकि भाजपा ने वरूण गांधी को मना लिया है और उन्होंने अपनी मां का चुनाव प्रचार करने का फैसला किया है। फिर भी मतदान के दौरान यहां के मतदाता किसके पक्ष में मतदान करते हैं यह तो आने वाला समय ही बताएंगा।

सहारनपुर से इस बार बसपा ने बदल दिन अपना उम्मीदवार

सहारनपुर से 2019 में बसपा के हाजी फजलुर रहमान ने भाजपा के राघव लखनपाल को 22,417 मतों से पराजित किया था। इस चुनाव में कुल 11 उम्मीदवार मैदान में थे। बसपा उम्मीदवार को 5,14,139 मत मिले थे। वहीं भाजपा उम्मीदवार राघव को 4,91,722 मत मिले थे। कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद 2,07,068 मत पाकर तीसरे स्थान पर थे। वहीं 4,284 मत नोटा को भी मिले थे। वहीं 2014 में राघव ने कांग्रेस के इमरान मसूद को 65,090 मतों से हराया था। लेकिन इस बार स्थिति कुछ उलट है। माजिद अली बसपा, इमरान मसूद गठबंधन, भाजपा से राघव लखनपाल शर्मा को टिकट दिया है। इस बार बसपा ने अपने विजयी प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है।

सपा को अचानक मेरठ व आगरा सीट पर करना पड़ा बदलाव

जानकारी के लिए बता दें कि सोमवार को मेरठ और आगरा सीट के उम्मीदवार को अचानक बदल दिया। बताया जा रहा है कि सपा अध्यक्ष ने मेरठ सीट पर उम्मीदवार भानु प्रताप को लेकर संगठन और उनके एक विवादित बयान वाला वीडियो वायरल होने के बाद संज्ञान लिया था। टिकट मिलने के बाद से ही वह बयान सोशल मीडिया में खासा वायरल हो रहा था।

वहीं संगठन पर उन्हें मजबूत प्रत्याशी नहीं मान रहा था। इसको देखते हुए सपा नेतृत्व ने उनका टिकट काटते हुए वर्तमान विधायक और अखिलेश के विश्वासपात्र माने जाने वाले अतुल प्रधान पर भरोसा जताते हुए उन्हें मेरठ सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। इसके अलावा पार्टी ने आगरा लोकसभा सीट से सुरेश चन्द्र कदम को टिकट दिया है। अब यह बदलाव कितना काम करेंगा यह तो आने वाला समय ही बताएंगा।

बिजनौर में भाजपा ने और नगीना में बसपा ने लहराया था परचम

जानकारी के लिए बता दें कि पिछली लोकसभा चुनाव में लोकदल सपा के साथ थी। इसके बावजूद भी बिजनौर सीट पर भाजपा अपना परचम लहराने में कामयाब रही। चूंकि बिजनौर से बसपा के मलूक नागर ने भाजपा के कुंवर भारतेंद्र सिंह को 69,941 मतों से हराया था। मलूक नागर को 5,61,045 मत मिले थे। वहीं भाजपा के कुंवर को 4,91,104 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस के नसीमुद्दीन सिद्दिकी 25,833 मत पाकर तीसरे स्थान पर थे। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव को देखें तो कुंवर भारतेंद्र ने समाजवादी पार्टी के शाहनवाज राणा को 2,05,774 मतों से परास्त किया था। कुंवर को 4,86,913 मत मिले थे।

वहीं शानवाज राणा को 2,81,139 मत मिले थे, जबकि बसपा के मालुक नगर को 2,30,124 मत मिले थे। यहां रालोद के जया प्रदा नाहाता ने 24,348 मत पाकर चौथे स्थान पर रहीं थी।नगीना लोकसभा सीट से बसपा के गिरीश चंद्र ने भाजपा के डा. यशंवत को 1,66,832 मतों से परास्त किया था। वहीं कांग्रेस की ओमवती देवी ने 20,046 मत पाई थीं, जबकि 2014 में भाजपा के यशवंत सिंह ने सपा के यशवीर सिंह को 92,390 मतों से हराया था। वहीं बसपा के गिरीश चंद्र 2,45,685 मत पाकर तीसरे स्थान पर थे।

मुरादाबाद से अपने सीटिंग सासंद को सपा ने नहीं दिया टिकट

पश्चिमी यूपी की चर्चित सीट मुरादाबाद लोकसभा है। यहां पर पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के डॉ. एसटी हसन ने भाजपा के कुंवर सर्वेश कुमार को 97,878 मतों से हराया था।जबकि उस समय भी मोदी की लहर थाी। इसके बावजूद डॉ. एसटी हसन 6,49,416 मत पाये थे, जबकि कुंवर सर्वेश 5,51,538 मत पाये थे, जबकि कांग्रेस से राज बब्बर 59,198 मत पाकर तीसरे स्थान पर थे। 2014 में भाजपा के कुंवर सर्वेश ने सपा के एस.टी हसन को 87,504 मतों से परास्त किया था।

रामपुर लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी से जीत हासिल की थी, लेकिन उप चुनाव में भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी ने सपा के असीम को 42,192 मतों से परास्त कर दिया था। यहां आजम के दबाव में सपा को उम्मीदवार अंतिम समय में बदलने पड़े और एसटी हसन चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। ऐसे में पार्टी के अंदर भीतरघाट होने का खतरा बढ़ गया है। यह सब सपा को भाजपा का चुनाव गणित देखकर करना पड़ा है। जिसकी वजह से सपा की ही मुश्किले बढ़ती नजर आ रही है।

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