प्रयागराज। तपस्वी संतों की धुना तपस्या बसंत पंचमी बुधवार से शुरू होने जा रही है। यह तपस्या गंगा दशहरा तक चलेगी। माघ मेला में आये 500 तपस्वी संत धुना तपस्या शुरू करेंगे जबकि तपस्वी संतों की संख्या देश में 10 हजार से अधिक है। धुना तपस्या करने वालों में आठ वर्ष के बाल संत से लेकर सभी उम्र के संत, महात्मा धुना तपस्या करते हैं। माघ मेला में महामंडलेश्वर स्वामी रामसंतोष दास महराज, महामंडलेश्वर स्वामी रामदास टाटाम्बरी महराज, स्वामी ध्रुवदास महराज, बीकानेर के राष्ट्रीय संत महामण्डलेश्वर स्वामी सरयू दास महाराज, स्वामी गोपाल महराज, स्वामी तुलसीदास महाराज, स्वामी भगवत दास महराज सहित करीब 500 संत, महात्मा बसंत पंचमी बुधवार से धुना तपस्या शुरू करेंगे।
तपस्या सुबह से शुरू होकर शाम तक आठ घंटे चलेगी
तपस्वी नगर के स्वामी गोपाल महाराज ने बताया कि धुना तपस्या बसंत पंचमी से शुरू होकर गंगा दशहरा तक चलेगी। उन्होंने बताया कि। गर्मी के दौरान अप्रैल से जून तक तपस्या सबसे कठीन होती है क्योंकि उस दौरान भीषण गर्मी पड़ती है। यह तपस्या सुबह से शुरू होकर शाम तक यानी कि दिन में कम से कम आठ घण्टे होती है। स्वामी गोपाल महराज ने बताया कि अगर किसी की तबियत खराब है या कोई दिक्कत है तो वह अपनी सुविधानुसार तपस्या कर सकता है लेकिन धुना तपस्या सभी को करनी होती है।
यह प्राचीन तपस्या की परंपरा है : रामसंतोष दास
महामंडलेश्वर स्वामी रामसंतोष दास महराज ने बताया कि यह प्राचीन तपस्या की परंपरा है जिसे हमारे रिषी – मुनि करते थे उसी परंपरा का निर्वहन कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि मेरी उम्र लगभग 70 वर्ष है लेकिन अभी भी धुना तपस्या करता हूं। स्वामी ध्रुवदास महराज ने बताया कि यह तपस्या हम लोग बचपन से करते आ रहे है। इससे जहां ऊर्जा मिलती है वहीं ईश्वर का भी ध्यान और पूजन होता है। बीकानेर के राष्ट्रीय संत महामण्डलेश्वर स्वामी सरयूदास महराज ने कहा कि धुना तपस्या हम सभी संत उत्साह से करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन धुना तपस्या करते हैं।