लखनऊ । 1990 बैच के आईपीएस अफसर प्रशांत कुमार को योगी सरकार ने एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। योगी सरकार के सबसे भरोसेमंद और तीन सौ एनकाउंटर करने वाले प्रशांत कुमार को नये कार्यवाहक डीजीपी को जिम्मा सौंपा गया है। अब वह विजय कुमार की जगह लेंगे। चूंकि 31 जनवरी को डीजीपी विजय कुमार का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। अभी प्रशांत कुमार स्पेशल डीजी के पद पर तैनात हैं। प्रशांत कुमार का कार्यकाल मई 2025 तक है।

योगी के पसंदीदा अफसर हैं प्रशांत कुमार

जानकारी के लिए बता दें कि मूल रूप से बिहार के सीवान निवासी प्रशांत कुमार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पसंदीदा अफसरों में शामिल माना जाता है। एडीजी जोन मेरठ रहने के दौरान उन्होंने कई अपराधियों का एनकाउंटर किया था, जिसके बाद उनको एडीजी कानून-व्यवस्था बनाया गया था। तत्पश्चात उन्होंने प्रदेश के 66 माफियाओं की सूची तैयार कर कानून का शिकंजा कसना शुरू कर दिया। उनके नेतृत्व में एसटीएफ और जिलों की पुलिस ने एनकाउंटर करने का सिलसिला जारी रखा।

डीजीपी की रेस में यह अफसर रहे


मुकुल गोयल, आनंद कुमार, शफी अहसान रिजवी, आशीष गुप्ता, आदित्य मिश्रा, पीवी रामाशास्त्री, संदीप सालुंके, दलजीत सिंह चौधरी, रेणुका मिश्रा, बिजय कुमार मौर्या, सत्य नारायन साबत, अविनाश चंद्रा, संजय एम. तरडे, एमके बशाल, तनूजा श्रीवास्तव, सुभाष चंद्रा।इन अफसरों को पीछे छोड़ते हुए प्रशांत कुमार डीजीपी पर पर काबिज होने पर में सफल रहे । इसके पीछे माना जा रहा है कि उनके मेहनत, ईमानदारी और योगी सरकार से बेहतर तालमेल माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि प्रशांत कुमार को चार बार राष्ट्रपति का वीरता पदक मिल चुका है। उन्होंने एमएससी, एमफिल और एमबीए की शिक्षा ग्रहण की है। उनकी पत्नी डिंपल वर्मा रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में रेरा में सदस्य हैं।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उठाया सवाल


यूपी में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि लगता है एक बार फिर उप्र को कार्यवाहक डीजीपी मिलनेवाला है। जनता पूछ रही है कि हर बार कार्यवाहक डीजीपी बनाने का खेल दिल्ली-लखनऊ के झगड़े की वजह से हो रहा है या फिर अपराधियों के संग सत्ता की सांठगांठ के कारण।अखिलेश यादव इसके पहले भी जब विजय कुमार कार्यवाहक डीजीपी बनाएं गए थे तब भी कुछ इस तरह का ट्टवी किया था।

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