सुल्तानपुर । सुल्तानपुर में बीते जून माह में जेल में बंद दो विचाराधीन कैदियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत में मामले मजिस्ट्रियल जांच की रिपोर्ट आ गई है। एसीजेएम ने जांच रिपोर्ट में आत्महत्या के बजाय हत्या बताया है और जेल प्रशासन को ही जिम्मेदार ठहराया है। बहरहाल रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। जिसके बाद सुल्तानपुर का जेल प्रशासन एक बार फिर कटघरे में खड़ा नजर आ रहा है। चूंकि जेल प्रशासन ने इसे सुसाइड बताया था।
30 मई 2023 को गिरफ्तार किया गया था
दरअसल ये मामला है बीते 21 जून का, जहां अमेठी जिले के जामो थानाक्षेत्र के लोरिकपुर गांव के रहने वाले करिया उर्फ विजय पासी और मज्जू रैदास उर्फ मनोज को 30 मई 2023 को गिरफ्तार किया गया था। दोनों पर आरोप था कि मुर्गी फार्म पर सोते हुए इन दोनों ने मिलकर ओम प्रकाश यादव की हत्या कर दी थी। इसी मामले में अमेठी जिले की जामों पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था, जहां से इन दोनों को जेल भेज दिया गया था। दोनों आरोपी अमहट स्थित जिला जेल में बंद थे।
21 जून को जेल के अंदर दोनों का लटकता मिला था शव
बीते 21जून की सुबह जेल प्रशासन ने जिला प्रशासन को सूचना दी थी कि जेल के अंदर और बैरक के बाहर इन दोनों का शव एक पेड़ पर लटक रहा है। इस सूचना के बाद ही जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। आनन फानन विजय पासी और मनोज रैदास को अस्पताल भिजवाया गया जहां डाक्टरों ने दोनो को मृत घोषित कर दिया। उस समय जेल प्रशासन बोलने को तैयार नहीं है। वही जिला प्रशासन भी जांच की बात कह रहा था। बहरहाल घटना की गंभीरता को देखते हुए मामले में न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए थे। जिसकी जांच एसीजेएम सपना त्रिपाठी को सौंपी गई था।
दोनों को जहर देकर फंदे से लटकाया गया था
बीते दो दिसंबर को एसीजेएम ने जिला जज को जो रिपोर्ट सौंपी वो चौकाने वाली है। रिपोर्ट में साफ साफ बताया गया है कि दोनों की मौत आत्महत्या से नहीं बल्कि हत्या से हुई है। उन्हें जहर देकर फंदे से लटका दिया गया था।दोनों के शरीर पर 13 जगह चोट के कई निशान थे। बहरहाल न्यायिक जांच में जेल प्रशासन को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया गया है।जांच के दौरान तत्कालीन सीजेएम सपना त्रिपाठी ने पांच बंदी और कैदियों के अलावा तीन हेड वार्डर, दो वार्डर, मृतक मनोज के पिता रंगीलाल रैदास, मां सीतारानी, मृतक करिया पासी के भाई अशोक कु़मार, रिश्तेदार रविंद्र विजय, प्रभारी जेलर रीता श्रीवास्तव, कविता कुमारी, उप जेलर दरक्शा बानो, पोस्टमार्टम करने वाले दो डॉक्टरों और जेल अधीक्षक उमेश सिंह का बयान दर्ज किया।