एसएमयूपीन्यूज,ब्यूरो। देश के 4 राज्यों मध्य प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 संपन्न हो गए हैं। 3 दिसंबर को हुई मतगणना के परिणामों ने पूरे देश को चौंकाया, क्योंकि 3 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने बहुमत से जीत हासिल की। वहीं कांग्रेस ने एक ही राज्य में चुनाव जीता। चुनाव परिणाम आने के बाद सियासी बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। कोई इसे प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी तो कोई इंडिया गठबंधन की असफलता बता रहा है।इन सबके बीच चुनावी नतीजों पर प्रशांत किशोर ने बड़ा बयान दिया है। पीके ने नतीजों को लेकर वो चार कारण भी बताये जिससे बीजेपी सभी पर भारी पड़ी।

वोट मोदी के ग्राफ के ऊपर-नीचे होने से नहीं मिलता-पीके

जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा को जो भी दल हराना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले ये समझना होगा कि उनकी ताकत क्या है ? बीजेपी को वोट लोग क्यों देते हैं ? जब तक आप उसकी ताकत को समझकर उससे बेहतर प्रयास नहीं करेंगे, तब लोग आपको वोट क्यों देंगे ? बीजेपी को जो वोट मिलता है, वो मोदी के ग्राफ के ऊपर-नीचे होने से नहीं मिलता है।

बीजेपी को वोट मिलने का पहला कारण हिंदुत्व विचारधारा-पीके

प्रशांत किशोर कहते हैं कि बीजेपी को वोट मिलने के चार कारण हैं, पहला- हिंदुत्व जो उनकी एक विचारधारा है, इससे जुड़ा हुआ एक बहुत बड़ा वर्ग बीजेपी को इसलिए वोट करता है, क्योंकि उन्हें बीजेपी के हिंदुत्व वाली विचाराधार पर यकीन है। दूसरा, जो न्यू राष्ट्रवाद की बात शुरू हो गई है, जो गांव-देहात में आप सुनते हैं कि भारत विश्वगुरु बना गया है, पूरे विश्व में भारत की शान मोदी ने बढ़ा दी है। ये जो सारी बातें हैं, पुलवामा के बारे में आपने सुना होगा, इस राष्ट्रवाद की भावना की वजह से भी बीजेपी को वोट मिलता है।

बीजेपी के जीत की बड़ी वजह संगठनात्मक और आर्थिक ताकत-पीके

प्रशांत किशोर आगे दो और वजहों को भी बताते हुए कहते हैं कि बीजेपी की जीत का तीसरा कारण है एक बहुत बड़ा वर्ग केंद्र की योजनाओं के लाभार्थियों का है, चाहे वो किसान स्वनिधि योजना हो, आवास योजना हो, जिसकी धनराशि सीधे केंद्र सरकार लाभार्थियों को भेज रही है। चौथा, जो बीजेपी का अपना संगठन है, उसकी जो संगठनात्मक और आर्थिक ताकत है उससे भी बहुत फर्क पड़ता है। प्रशांत किशोर ने चौथी वजह बताई कि बीजेपी के संगठन की जितनी ताकत है उसके मुकाबले में अन्य पार्टियों का संगठन बेहतर होना चाहिए।

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