एसएमयूपीन्यूज, ब्यूरो। छत्तीसगढ़ के बाद मध्य प्रदेश के सीएम फेस से बी पर्दा उठ गया है। नए सीएम का ऐलान हो गया है। मोहन यादव को जिम्मेदारी दी गई है। मोहन यादव का नाम सीएम के रूप में काफी चौंकाने वाला है। शिवराज सिंह ने मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रखा था। हालांकि मोहन यादव को सीएम बनाये जाने के फैसले से मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश में भी हर्ष का माहौल है। चूंकि मोहन यादव की पत्नी सीमा सुलतानपुर की है।

मध्य प्रदेश में तीन दिसंबर को चुनावी नतीजे आए थे

मध्य प्रदेश में तीन दिसंबर को चुनावी नतीजे आए थे। राज्य में मिली बंपर जीत के बाद भी सीएम के नाम को लेकर ऊहापोह की स्थिति बरकरार थी। पिछले आठ दिन के मंथन के बाद पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री का नाम फाइनल कर दिया है।ओबीसी समाज से आने वाले मोहन यादव के नाम पर बीजेपी विधायक की बैठक में मुहर लगी।इससे पहले मध्य प्रदेश सीएम का नाम तय करने के लिए पर्यवेक्षकों ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से बात की। इसके बाद पर्यवेक्षक हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, भाजपा सांसद के लक्ष्मण और पार्टी नेता आशा लकड़ा ने भोपाल स्थिज राज्य मुख्यालय में विधायकों के साथ बैठक की। इसी में सीएम के नाम पर मुहर लगी।

सियासी गलियारों में मचा हड़कंप

सीएम पद की रेस में शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, वीडी शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सामने आया था लेकिन मोहन यादव को सीएम बनाए जाने से सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया है। शुरू से ही ऐसी खबरें थीं कि भाजपा इस बार शिवराज के बजाय किसी अन्य को सीएम पद पर बैठा सकती है। मध्य प्रदेश के नए सीएम मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव खुद राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया है। बता दें कि मोहन यादव शिवराज सिंह चौहान सरकार में वह कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।

2013 में वह पहली बार उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक बने थे

साल 2013 में वह पहली बार उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक बने थे। 2018 के मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में एक बार फिर उज्जैन दक्षिण सीट से जनता ने उनको विधायक चुना। 2 जुलाई 2020 को शिवराज सिंह चौहान सरकार में वह कैबिनेट मंत्री बने और उनको उच्च शिक्षा मंत्री का कामकाज सौंपा गया। उनकी छवि हिंदुवादी नेता की रही है और मोहन यादव आएसएस के भी करीबी माने जाते हैं।सीएम मोहन यादव के दो डिप्टी सीएम होंगे। जगबीर देवड़ा और राजेश शुक्ला डिप्टी सीएम चुने गए हैं।ओबीसी सीएम के साथ दलित और ब्राह्मण का समीकरण बनाया गया है।वहीं, नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभालेंगे।

अब तक का मोहन यादव का राजनीतिक करियर 

58 वर्षीय मोहन यादव का राजनीतिक करियर एक तरह से 1984 में शुरू हुआ जब उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को ज्वाइन किया. वह आरएसएस के भी सदस्य हैं। उन्होंने 2013 में उज्जैन दक्षिण से चुनाव लड़ा था और लगातार तीसरे चुनाव में यहां से विधायक निर्वाचित हुए हैं। इस बार उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी चेतन प्रेमनारायण यादव को 12941 वोटों से हराया था। मोहन यादव को 95699 वोट मिले थे।

तीन राज्यों में यादव वोट को साधने की कोशिश

भाजपा ने मोहन यादव को मध्य प्रदेश की कमान सौंपकर एमपी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और हरियाणा के यादव वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और बिहार में लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल का यादव वोट बैंक पर कब्जा माना जाता है। वहीं, हरियाणा में यादव वोट बैंक कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोक दल और भाजपा के बीच बंटता है। राजस्थान में भी यादव वोटर भाजपा और कांग्रेस के बीच बंटता है।

पिछड़ी जातियों में सबसे सशक्त माने जाते हैं यादव

यूपी में 10 से 12 प्रतिशत यादव वोटर हैं। सियासी रुप से अन्य पिछड़ी जातियों में यादव सबसे सशक्त माने जाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रदेश की करीब दो दर्जन लोकसभा सीटों पर यादव मतदाताओं का वर्चस्व है। भाजपा ने मोहन यादव जैसे कॉडर के आदमी को नेतृत्व सौंपकर यादव वोटरों को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि सपा, राजद से यादव चाहे जितना जुड़े हों इन पार्टियों में नेतृत्व स्व मुलायम सिंह और लालू यादव के परिवार को ही मिलेगा। जबकि भाजपा में उनके लिए नेतृत्व का भरपूर मौका मिल सकता है।

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