लखनऊ । पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास के प्रतीक का पर्व करवा चौथ व्रत एक नवंबर को मनाया जाएगा। इसे लेकर महिलाओं में जहां उत्साह हैं, वहीं बाजारों में चहल-पहल भी है। साड़ी, श्रृंगार की दुकानों पर भीड़ बढ़ गई है। महिलाएं जमकर सोलहो श्रृंगार के सामान खरीदने में जुटी हैं। वहीं हाथों में मेंहदी भी रचा रही हैं। सुहागिनों द्वारा पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाना वाले ये पर्व हिंदू धर्म में बेहद खास माना गया है।

पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं सुहागिनें

करवा चौथ के व्रत में सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर शाम के चंद्रोदय होने तक उपवास रखती हैं। दिनभर निराहार और निर्जला व्रत रखते हुए शाम के समय करवा माता की पूजा,आरती और कथा सुनती हैं। इसके बाद शाम को चंद्रमा के दर्शन करती हैं।  फिर चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं। इसके बाद सभी सुहागिन महिलाएं अपने सास-ससुर और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हुए करवा चौथ का पारण करती हैं। इस व्रत में पूजा के शुभ मुहूर्त का भी विशेष महत्व माना गया है।

करवा चौथ व्रत 1 नवंबर को मनाया जाएगा

ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय ने बताया कि करवा चौथ व्रत 1 नवंबर को मनाया जाएगा। चतुर्थी तिथि 31 अक्तूबर रात 9:30 बजे से ही शुरू हो जाएगी जो 1 नवंबर को सूर्योदय से रात 9:20 तक रहेगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व शिव राज योग सुबह से पूरे दिन रहेंगे। चंद्रोदय का समय रात 8:38 बजे हैं। ज्योतिषाचार्य अनीता पाराशर ने बताया कि सरगी लेने का सही समय सूर्योदय से पूर्व सुबह तीन से चार बजे के मध्य रहता है।

पूजा सभी के लिए फलदायी होगी

करवा चौथ पर सर्वार्थ सिद्धि और शिव राज योग होने से पूजा सभी के लिए फलदायी होगी। पूजन के लिए पीली स्वच्छ मिट्टी से भगवान शिव, मां पार्वती और विघ्न विनाशक गणपति की प्रतिमा बनाई जाती है। मूर्तियों को लकड़ी की एक चौकी पर स्थापित करके गंगाजल से शुद्ध करें। माता पार्वती को लाल चुनरी ओढ़ाकर उनका शृंगार करें। भगवान शिव और गणेशजी पुष्प-वस्त्र, माला आदि से सजा दें।

करवा चौथ की कहानी सुनाएं

करवे में जल रखें घी का सुंदर दीपक और धूप भगवान के समक्ष जलाएं करवा चौथ की कहानी सुनाएं। भगवान को पूड़ी, पूए, लड्डू, मीठी मठरी, नैवेद्य, मेवा आदि भोग लगाएं फिर गौर पार्वतीजी की आरती करें और उनसे अपने पति की दीर्घायु एवं निरोगी काया के लिए प्रार्थना करें। रात में चंद्र दर्शन, पूजन कर जल अर्पित करके व्रत पूर्ण होता है।

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