लखनऊ । आयुष्मान भारत योजना में काम करने वाले आयुष्मान मित्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। चूंकि उनकी अभी तक जो नौकरी संविदा पर है अब उसे खत्म करके एक कंपनी के अंदर ठेके पर रखने का आदेश सरकार ने जारी कर दिया है। सरकार के इस फैसले से आयुष्मान मित्रों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। उनका कहना है कि जिस योजना को जमीन पर उतारने के लिए जी जान लगा दिया।आज उन्हीं की नौकरी से खिलवाड़ किया जा रहा है।

सरकार को अपने आदेश का वापस लेना चाहिए अन्यथा आयुष्मान मित्र कोर्ट की शरण लेंगे और इसका विरोध करेंगे। अम्बेडकनगर में रविवार को सीएमओ कार्यालय पहुंचकर आयुष्मान मित्रों ने सरकार के आदेश का विरोध भी जताया। साथ ही कहा कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है वह चुप नहीं बैठेंगे। प्रधानमंत्री को उनकी समस्या सुना जाना चाहिए।

साल 2018 में लागू की गई थी आयुष्मान भारत योजना

प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी योजना आयुष्मान भारत योजना है। जिसे 2018 में पूरे देश में लागू किया गया था। इस योजना के तहत दस करोड़ 74 लाख परिवारों को चयन किया गया था। प्रति परिवार को पांच लाख तक मुफ्त इलाज सभी सरकारी अस्पतालों तथा संवंद्ध प्राइवेट अस्पताल में लाभार्थी अपना उपचार करा सकता है। इस योजना को बेहतर तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए हर सरकारी अस्पतालों में कुछ कर्मचारी रखे गए थे।

जिनका नाम आयुष्मान मित्र रखा गया गया। इनका काम था कि गांव-गांव में जाकर गोल्डन कार्ड बनाना। अस्पताल में जाकर आयुष्मान के मरीजों को खोजने का काम करते थे। इसके बाद मरीज का आयुष्मान कार्ड बनाने के बाद ऐसे मरीजों का अस्पताल में उपचार कराया जाता है। मरीज के भर्ती होने के बाद उनके वार्ड की फोटो और उपचार का ब्योरा का फोटो खींचकर टीएमएस पोर्टल पर अपलोड करते थे। डिस्चार्ज होने के बाद मरीज का पूरा खर्चा लिखकर फिर टीएमएस पोर्टल पर लोड किया जाता है।

योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी आयुष्मान मित्रों के जिम्मे

यह सारा कार्य आयुष्मान मित्र को करना पड़ता है। गोल्डन कार्ड बनाने से लेकर मरीज खोजने, उन्हें भर्ती कराने और अस्पताल से डिस्चार्ज कराने की जिम्मेदारी आयुष्मान मित्र की होती है। इसमें सीएचसी व पीएचसी पर आयुष्मान मित्र लगे थे उनकी पिछले पांच सालों में केवल कुछ महीने वेतन केवल एक बार दिया गया था । इसके बाद से वह फ्री आफ कास्ट काम कर रहे है।

इनकी नियुक्ति 2018 संविदा कर्मचारी के रूप में हुई है।आयुष्मान मित्रों का आरोप है कि अब सरकार उनके साथ खेला शुरू कर दिया है। एक शासनादेश जारी किया है कि उत्तर प्रदेश के समस्त आयुष्मान मित्राें से अब ठेके से काम कराया जाएगा, जिसका जिम्मा एक कंपनी को सौंपा गया है। यह कंपनी अब यूपी ही नहीं पूरे देश में आयुष्मान मित्रों से ठेके पर काम करवाने का काम करेंगी।

संविदा पर ही नियुक्त रहने की उठा रहे आवाज

अब यही वेतन और काम का समय कंपनी निर्धारित करेंगी। इस योजना में जी जान से मेहनत करने वाले आयुष्मान मित्र कहां जाए। इसीलिए आयुष्मान मित्रों की मांग है कि उनकी नियुक्ति संविदा पर ही रहने दिया जाए। चूंकि कंपनी के कर्मचारी अब आयुष्मान मित्रों को फोन करके धमका रहे है कि ठेके में आकर अपना कार्यभार ग्रहण करें। अगर नहीं ज्वाइन करते है तो फिर नौकरी उनकी समाप्त हो जाएगी।

कंपनी के ठेकेदारों के फोन से आयुष्मान मित्र प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन कर इसका विरोध कर रहे है। इसी के तहत रविवार को आयुष्मान मित्रों ने अम्बेडकरनगर में मुख्य चिकित्साधिकारी के सामने विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि उन्हें संविदा के पद से न हटाया जाए। अब योजना के पांच साल पूरे होने पर साल 2023 में पूरी व्यवस्था को ठेका कंपनी को दिया जा रहा है। जिसे खत्म किया जाए और उनका कई माह से जो वेतन नहीं मिला उसे दिलवाया जाए।

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