लखनऊ । उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के मानविकी विद्याशाखा के तत्वावधान में हिन्दी दिवस पर अमृत काल में हिन्दी की भूमिका विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया। राजभवन लखनऊ में आयोजित सिम्पोजियम में प्रतिभाग करने गई कुलपति प्रोफेसर सीमा ने हिंदी के अनन्य उपासक भारत रत्न राजर्षि टंडन का स्मरण करते हुए वहीं से सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित की।

राजर्षि टंडन मुक्त विवि में हिंदी दिवस पर परिसंवाद का आयोजन

तिलक सभागार में आयोजित कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी, निदेशक, मानविकी विद्याशाखा ने कहा कि भाषा, भाव एवं विचारों के सम्प्रेषण का सशक्त माध्यम होती है। वह जितनी ही ग्राह्य व सुस्पष्ट होगी उतना ही उसका प्रचार और प्रसार बढ़ेगा। हिन्दी वर्तमान में वैश्विक परिदृश्य में सम्प्रेषणता की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण भाषा बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि अमृत काल में भारतीय ज्ञान गरिमा को वैश्विक बनाने में हिन्दी का योगदान सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। भारत में हिन्दी की ग्राह्यता और उसकी लगातार लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है।

हिन्दी दिवस पर यह संकल्प लें कि हम हिन्दी में संवाद स्थापित करें

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर पीपी दुबे, निदेशक कृषि विज्ञान विद्या शाखा ने कहा कि हिन्दी भाषा समृद्ध भाषा है। भारत में 43 प्रतिशत लोग हिन्दी बोलते हैं। आज हिन्दी अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी छाप छोड़ते हुए विकास की ओर अग्रसर है। हिन्दी दिवस पर यह संकल्प लें कि हम हिन्दी में संवाद स्थापित करें और इसके विकास में योगदान दें। हिंदी की प्रोफेसर रूचि बाजपेई ने कहा कि हिन्दी विश्व की शक्तिशाली भाषा है। भारत के नौ राज्यों में सारे कार्य हिन्दी में हो रहे हैं। 14 सितम्बर, 1949 को हिन्दी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिली थी। इसी लिए 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार हिन्दी को भारत की राजकीय भाषा का दर्जा दिया गया था।

मातृभाषा हमारी संस्कृति का वाहक होती है: डॉ. सतीश

डॉ. सतीश चन्द्र जैसल ने कहा कि मातृभाषा हमारी संस्कृति का वाहक होती है। मातृभाषा का तब तक विकास नहीं होता जब तक हम उसको आत्मसात व सम्मान नहीं करते। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में ज्ञान प्राप्त करें और उसका सदैव आदर और सम्मान करें। डॉ. अतुल कुमार मिश्र ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी भाषा को आत्मसात कर इसके गौरव को बढ़ाये तभी इसकी उत्थान हो सकेगा। कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव अनुपम ने किया एवं डॉ. अब्दुल रहमान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विभिन्न विद्याशाखाओं के आचार्य, सह-आचार्य एवं सहायक आचार्यगण उपस्थित रहे।उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी डॉ. प्रभात चंद्र मिश्र ने दी।

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