चंद्रप्रकाश सिंह,लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित किंग जार्च चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू में जहां कुलपति ले.ज.डॉ.विपिन पुरी के सेवानिवृत होने की चर्चा जोरों पर थी। वहीं लोगों में तरह तरह चर्चाएं चल रही थी कि केजीएमयू को कुलपति प्रदेश से मिलेगा या बाहर से ऐसे अनुमान लगाने की चर्चा जोरों पर थी। आखिरकार मंगलवार को केजीएमयू कुलपति पद की दौड़ समाप्त हो ही गई। जिसे राजधानी के डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की बतौर निदेशक प्रो सोनिया नित्यानंद को केजीएमयू कुलपति की नई जिम्मेदारी संभालने का आदेश उप्र की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा 31 जुलाई को जारी कर दिया गया है। इस आदेश के बाद अब चर्चाओं पर विराम लग गया। हालांकि नये कुलपति के सामने तमाम चुनौतियां हैं।

तीन वर्षो तक बतौर कुलपति संभालेगी कार्यभार

डॉ.विपिन पुरी का कार्यकाल पूरा होने के कारण केजीएमयू कुलपति के पद पर कार्यभार संभालेगी। प्रो सोनिया नित्यानंद अब तीन वर्षो तक केजीएमयू कुलपति की जिम्मेदारी संभालेगी।अब आरएमएल निदेशक का पद खाली हो जाने से अनुमान लगाने का दौर शुरू हो गया है। वहीं सूत्रों का कहना है कि आरएमएल निदेशक का कार्यभार अटल बिहारी वाजपेई यूनिवर्सिटी के कुलपति संजीव मिश्रा को दी जा सकती है। इस बारे ज्यादातर यही अनुमान लगाया जा रहा है कि श्री मिश्र को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। बता दें कि प्रो सोनिया नित्यानंद कोरोना काल से ही आरएमएल निदेशक का कार्यभार संभालते हुए आरएमएल की चिकित्सा स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने में अग्रणी भूमिका पेश की है। जिसमें अभी हाल ही एनएबीएच का दर्जा प्राप्त किया।

चार्ज संभालने के बाद नये कुलपति के सामने होगी तमाम चुनौतियां

वहीं संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में परिवहन मंत्री एवं प्रमुख सचिव और एसजीपीजीआई निदेशक समेत इस उपलब्धि के लिए संस्थान को बधाई दी थी।इसके अलावा आरएमएल में एनएमसी द्वारा एमबीबीएस की 150 सीटों की मान्यता दिलाई है। इन्हीं कार्य कुशलता के चलते आज आरएमएल निदेशक को कुलाधिपति ने कार्यभार संभालने की नई जिम्मेदारी सौंप दी है। वहीं देखा जाए तो केजीएमयू में बहुत सारी चैलेंज भी है जिन्हे बतौर कुलपति रहते फेस करना होगा।चाहे एचआरएफ से दवाओं की हेरा फेरी हो या स्थानांतरण नीति का मामला हो या संस्थान में अतिक्रमण का मामला हो या चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों के लिए एलपी दवाओं की समस्या हो ।ऐसे कई मामले जो विभाग में कमियां बनी हुई हैं।जिन्हे दूर करना लोहे के चने चबाने जैसा होगा

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