लखनऊ । थाना चिनहट, क्राइम टीम डीसीपी पूर्वी व साइबर सेल लखनऊ की संयुक्त पुलिस टीम द्वारा वाहन में लाल-नीली बत्ती लगाकर फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर आम जनता से धोखाधड़ी कर धन उगाही करने वाले गिरोह का पदार्फाश करते हुए दो शातिर अभियुक्त को गिरफ्तार किया है। साथ ही एक वाहन इनोवा, एक वाहन फार्च्यूनर, छह मोबाइल फोन, कुल 80,000 रुपये नगदी व 33 गड्डी भारतीय रिवर्स बैंक (चिल्ड्रेन बैंक 2000 रुपये का नोट) समेत अन्य प्रपत्र व सामग्री बरामद किया है।डीसीपी पूर्व हृदेश कुमार ने बताया कि राजधानी लखनऊ विधायक बनकर ठगी करने वाले युवक और उसके दोस्त को चिनहट पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनके खिलाफ चिनहट थाने में 2019 में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। तभी से फरार चल रहे थे।
गाड़ी पर लिखवा रखा था विधायक व पुलिस
इसी क्रम में बुधवार को मुखबिर खास ने भी सूचना दिया कि जिस मुल्जिम के बारे में आप लोग वार्ता कर रहे है वह लखनऊ से कार द्वारा सुल्तानपुर की तरफ जाने वाले है इनके पास लाल-नीली लगी बत्ती वाली चारपहिया गाड़ी व एक फार्चूनर गाड़ी जिसमें विधायक लिखा हुआ है। जिसके आधार हम पुलिस वालों द्वारा अहिमामऊ पुल के पास गाड़ाबन्दी कर अर्जुनगंज कैण्ट की तरफ से एक नीली- लाल बत्ती जलती हुई गाड़ी आती दिखायी दी। जिसके पीछे एक अन्य चारपहिया गाड़ी लगी थी। पास आने पर अहिमामऊ के पास दोनों गाड़ियों को रोक लिया गया । जिसमे बैठे अभियुक्त शैलेन्द्र कुमार व रविन्द्र कुमार को पकड़ लिया गया।
पकड़े गए दोनों अभियुक्त रियल स्टेट का करते थे काम
लाल-नीली लगी बत्ती इनोवा गाड़ी व फार्चूनर गाड़ी को खुलवा गया तो पी-कैप, बैरेट कैप व डीजी परिपत्र से सम्बन्धित कागजात तथा अन्य पुलिस सम्बन्धी प्रपत्र व सामग्री बरामद हुआ । जिसके सम्बन्ध मे कड़ाई से पूछताछ किया गया तो बताया कि साहब हमलोग कोई पुलिस अधिकारी नहीं है। हम दोनों रियल स्टेट का काम करते है तथा बुजुर्ग किसानों को अपने जाल में फंसाने के लिये तथा आम जनमान में अपना प्रभाव जमाने के लिये यह चिल्ड्रेन बैंक वाली 2000 रुपए की नोट वाली गड्डी दिखाते है व पुलिस अधिकारी का परिचय बताते है ।
बताया टोल टैक्स बचाने के लिए गाड़ी पर लिखवाया विधायक
गाड़ी में न्यायालय के प्रपत्र व गजट तथा अन्य पुलिस बुकलेट के सम्बन्ध मे पूछताछ किया गया तो बताये कि यह कागज लोगों के बेवकूफ बनाने व अपने को पुलिस अधिकारी साबित करने के लिये दिखाता हूं। इनोवा चारपहिया वाहन में आगे व पीछे कांच पर पुलिस लिखा हुआ व फार्च्यूनर गाड़ी के कांच पर विधायक लिखे होने के सम्बन्ध मे भी पूछताछ किया गया तो बताये कि अपने आप को पुलिस अधिकारी साबित करने लिये व टोल टैक्स पर पैसा बचाने के लिये लिखवाया गया है। बरामद माल व गाड़ी को कब्जे पुलिस मे लेकर दोनों अभियुक्तो को अहिमामऊ लखनऊ से गिरफ्तार किया गया।
जिला सुल्तानपुर के रहने वाले दोनों अभियुक्त
जिनके विरुद्ध पंजीकृत अभियोग व जारी वार के सम्बन्ध मे नियमानुसार विधिक कार्रवाई अमल में लायी जा रही है। गिरफ्तार अभियुक्त का नाम शैलेन्द्र कुमार पुत्र रामराज निवासी किराये का मकान नवीन दूबे आम्रपाली बिहार रजनीखण्ड प्लाजा किला चौराहा थाना आशियाना लखनऊ मूलपता ग्राम पसयीपुर थाना चांदा जिला सुल्तानपुर और दूसरे का रविन्द्र कुमार पुत्र रामराज निवासी किराये का मकान नवीन दूबे आम्रपाली मूलपता जिला सुल्तानपुर है। इसमें खास बात यह है कि दोनों सगे भाई और मूल रूप से सुल्तानपुर जनपद के रहने वाले है।
विधायक बनकर वसूली करने वाली करते थे वॉकी टॉकी का इस्तेमाल
पुलिस अफसर और विधायक बन उगाही करने वाले शातिर सीयूजी सीरीज का मोबाइल नंबर इस्तेमाल करते थे। ट्रू कॉलर पर एडीजी के नाम से प्रोफाइल बनाई थी।ये नंबर ट्रेस कर सर्विलांस के एक सिपाही ने जब उससे बात की तो उसको अर्दब में लेने का प्रयास किया। जमकर फटकारा और बोला कि सिपाही के पास सरकारी नंबर कैसे है? इससे सिपाही थोड़ा सहमा, लेकिन जब अधिकारियों को इस बारे में बताया तो उनको शक हो गया। जब मोबाइल नंबर की कुंडली निकाली गई तो आरोपी जद में आ गए और दबोच लिए गए।
राह चलते रौब दिखाकर करते थे वसूली का खेल
एडीसीपी पूर्वी सैयद अली अब्बास ने बताया कि आरोपी शैलेंद्र कुमार और रविंद्र कुमार लंबे समय से फरार थे। सर्विलांस टीम ने एक सीयूजी सीरीज का नंबर चिह्नित किया। शक था कि ये नंबर आरोपियों में से किसी एक का है। संपर्क किया तो बात रविंद्र ने की और खुद को एडीजी बताया। सिपाही ने सवाल करने शुरू किए तो वह भड़कता रहा। नौकरी से हटवाने की धमकी दे दी। एडीसीपी ने बताया कि तभी शक हो गया था कि ये शातिर शख्स है। मोबाइल नंबर की डिटेल निकाली गई तो प्राइवेट शख्स की आईडी पर मिला। ट्रेस कर पकड़ा गया। एडीसीपी ने बताया कि काफी वर्ष पहले सामान्य लोगों को भी सीयूजी सीरीज के नंबर आवंटित किए जाते थे, ये नंबर आरोपी रविंद्र ने तभी लिया था।
पुलिस कर्मी के करीबी होने के कारण थी इन्हें पूरी जानकारी
एसयूवी में वॉकी टॉकी सिस्टम लगवा रखा था। जब वह चलता था दो-तीन गुर्गे साथ में रहते थे। कभी भी वह टोल नहीं भरता था। उसके गुर्गे वॉकी-टॉकी लेकर उतरते थे। गाड़ी में एडीजी के होने की बात कहकर बैरियर खुलवाते थे। ये सैकड़ों बार किया। आरोपी के पास से पुलिस के कई आईडी कार्ड भी बरामद हुए। आरोपियों के खातों में मोटी रकम मिली है। खाते फ्रीज कराए गए हैं। पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह राह चलते भी वसूलते करते थे। सड़क किनारे गाड़ी के भीतर आरोपी बैठे रहते थे। उनके गुर्गे गाड़ियां रुकवाते थे।
आरोपियों के पास से डीजी के सर्कुलर भी बरामद हुए
रविंद्र और शैलेंद्र को पुलिस अफसर बता चेकिंग के नाम पर रकम वसूल करते थे। आरोपियों के पास से डीजी के सर्कुलर भी बरामद हुए। पूछताछ में बताया कि वह इन सर्कुलर को पढ़कर जानकारियां लेते थे। यदि कभी पुलिस वाले से टकरा जाएं तो विश्वास के साथ बात कर सकें। किसी तर्क में न फंसे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कई पुलिसकर्मी आरोपियों के करीबी हैं। जिनसे उनको पूरी जानकारी मिली है। मोबाइल से कई अहम जानकारियां मिली हैं। कुछ पुलिस अधिकारियों के नंबर व उनसे व्हाट्सएप चैट भी है, जिसकी तस्दीक की जा रही है।