लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अंदर स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। राजधानी में राजभवन के गेट के बाहर एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा होने पर एम्बुलेंस को फोन किया गया लेकिन एंबुलेंस के न पहुंचने पर और गर्भवती की तबियत बिगड़ने पर महिलाओं ने चादर से घेरकर सड़क पर ही डिलीवरी कराई। इसमें नवजात की मौके पर ही मौत हो गई है। मामला सोशल मीडिया पर हाईलाइट होने पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक मौके पर पहुंच गए। डिप्टी सीएम ने इस मामले में सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है।

राजभवन पहुंचे ही शुरू हो गया रक्तस्राव

माल एवेन्यु निवासी ब्रजेश की पत्नी रूपा 30 साढ़े चार माह की गर्भवती थी। रविवार सुबह करीब आठ बजे गर्भवती को पेट में दर्द उठा। पति ब्रजेश उसे सिविल अस्पताल लेकर आया। वहां पर इमरजेंसी में डॉक्टरों ने महिला को दर्द से राहत देने के लिए इंजेक्शन लगाया और दवा दी। कुछ देर वहां पर भर्ती रहने बाद उसे घर जाने की सलाह दी गई। सुबह करीब 11:45 वह रिक्शे से अपनी भाभी रीता संग घर जा रही थी। पति दूसरे साधन से पीछे से आ रहा था। तभी राजभवन के गेट नंबर 13 पास गर्भवती को रक्तस्त्राव शुरू हो गया। भाभी ने उसे रिक्शे उतारकर रोड किनारे बिठाया।

डिप्टी सीएम ने जांच के दिये आदेश

बताया जा रहा है कि एक घंटे बाद पुलिस कर्मी एम्बुलेंस के साथ मौके पर पहुंचे। इसके बाद आनन-फानन में महिला और बच्चे को लेकर झलकारी बाई हजरतगंज हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने नवजात को मृत घोषित कर दिया।वहीं मामले की सूचना पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक अपनी पत्नी नम्रता के साथ अस्पताल पहुंचे। उन्होंने ओटी रूम में पीड़ित महिला से मुलाकात की। उन्होंने कहा, साढ़े चार माह का गर्भ था, प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई है। एम्बुलेंस आने में देरी होने पर जांच के आदेश दिए गए हैं। जो भी जिम्मेदार होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।इसके बाद डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक अपनी पत्नी के साथ पीड़ित पिता ब्रजेश को लेकर बैकुंठ धाम गए। यहां भ्रूण शव को दफनाया गया।वहीं, समय पर एंबुलेंस के न पहुंचने संबंधित मामले को लेकर उन्होंने जांच के निर्देश जारी किए हैं।

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