लखनऊ । सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए जाने पर अब आपको भटकने की जरूरत नहीं है। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के निर्देश पर अब सभी सरकारी अस्पतालों में एक ही वार्ड में सभी आपातकालीन सुविधाएं दी जाएगी। ताकि अस्पताल आने के बाद मरीज और उनके परिजनों को वार्डों का चक्कर न लगानी पड़े। यह सभी केवल दिन में ही नहीं बल्कि चौबीस घंटे नि:शुल्क प्रदान की जाएगी। डिप्टी सीएम ने सभी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि इसकी तैयारी जल्द से जल्द पूरी कर लें। उनका कहना है कि आज अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी सेवाओं को बेहतर बनाने की जरूरत है।

मेडिकल कॉलेजों में 30 बेड का इमरजेंसी अस्पताल बनाने की व्यवस्था

सोमवार को लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित सभागार में चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग की सतत संजीवनी सेवा की समीक्षा के दौरान डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि प्रदेश में मेडिकल इमरजेंसी सुविधा के ढांचे को दुरुस्त किया जा रहा है। सतत संजीवनी सेवा के जरिए एकीकृत इमरजेंसी चिकित्सा सेवा दी जाएगी। इसके तहत इमरजेंसी वार्ड के अंदर सभी प्रकार की आकस्मिक सेवाएं दी जाएंगी। इसके लिए सभी मेडिकल कॉलेजों में 30 बेड का इमरजेंसी अस्पताल बनाने की व्यवस्था है। संचालन के लिए एकीकृत कंट्रोल एंड कमांड सेंटर स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी सेवा को लेकर सीएम योगी भी चिता जता चुके हैं। ऐसे में बैठक में बन रही रणनीति के हर बिंदु के बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जाएगी। इसके बाद योजना को लेकर अगली कार्रवाई होगी।

सभी अस्पतालों में जरूरी दवाओं व विशेषज्ञ स्टाफ की समुचित व्यवस्था करें

डिप्टी सीएम ने विभागीय अफसरों को निर्देश दिया कि सभी जिलों के अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अस्पतालों की क्षमता वृद्धि की जाए। सभी अस्पतालों में जरूरी दवाओं, उपकरणों व विशेषज्ञ स्टाफ की समुचित व्यवस्था करें। इमरजेंसी हॉस्पिटल को एल-1, एल-2, एल-3 में श्रेणीबद्ध करके उनका प्रभावी निगरानी किया जाए। ताकि मरीज की जिस स्तर की गंभीरता हो, उसी श्रेणी के अस्पताल में भेजा जाए। डिप्टी सीएम ने प्रदेश में कार्यरत एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस को जीपीएस के माध्यम से निगरानी की जाए। इनका प्रयोग इमरजेंसी सेवाओं में ज्यादा किया जाए। इमरजेंसी के लिए ज्यादातर स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाए।

लंबे समय से ड्यूटी से गायब रहने वाले छह डॉक्टर निलंबित

डिप्टी सीएम के निर्देश पर ड्यूटी से लंबे समय से गायब छह डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया है। ये सभी हाथरस के अलग – अलग अस्पतालों में कार्यरत हैं। जिला महिला चिकित्सालय में कार्यरत त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. मीनल अग्रवाल, एनेस्थेटिस्ट डा. शालिनी गुप्ता, बागला संयुक्त चिकित्सालय की पैथोलॉजिल्ट डा. मोहम्मद राफे, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टिकारी के चिकित्साधिकारी डा. हरिओम श्योरान, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाढपुर के डा. रोहित चक, सीएचसी महौ के डा. आदित्य श्रीवास लंबे समय से अनुपस्थित चल रहे हैं। इसी के तहत यह कार्रवाई डिप्टी सीएम द्वारा की गई है। उनके द्वारा कहा गया है कि मरीजों के उपचार में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं जाएगी।

शव को सील करने के एवज में पैसा मांगने के मामले में जांच के दिये आदेश

लखनऊ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में शव सील करने के एवज में कर्मचारी द्वारा रुपये मांगने के आरोप लगने पर डिप्टी सीएम ने जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही अस्पताल निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है। इसी तरह मेरठ मेडिकल कॉलेज सहित विभिन्न अस्पतालों से जुड़े मामले में भी जांच के आदेश दिए गए हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी हास्पिटल (सिविल) के पोस्टमार्टम हाउस में शव रखा था। आरोप है कि शव सील करने के एवज में रविवार को यहां के कर्मचारी ने मृतक के परिजनों से 800 रुपये मांगे। मामले की जानकारी मिलने पर उप मुख्यमंत्री ने अस्पताल के निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है। जांच कर दोषी कर्मचारी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है। मंगलवार शाम तक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

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