लखनऊ । काशी सदियों से ज्ञान, चर्चा, संस्कृति और अध्यात्म का केंद्र रही है। काशी की स्प्रिट भारत को टाइमलेस काम करने के लिए ऊर्जा देती है। इसमें भारत की विविध विरासत का सार है। यह देश के सभी हिस्सों के लोगों के लिए रूपांतरण बिंदु के रूप में काम करती है। मैं काशी का सांसद हूं, इसलिए ऐसा नहीं कह रहा हूं। काशी की गंगा आरती, सारनाथ आपको प्रेरित करती है।विकास को बनाए रखना सामूहिक जिम्मेदारी है। दुनिया के विकास में भारत हरसंभव मदद को तैयार है। भारत अपने अनुभव बांटने को तैयार है। दुनिया को बचाने के लिए पर्यावरण पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। हम नदियों, पेड़ों का सम्मान करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कई देशों से आए मेहमानों का किया स्वागत

उक्त बातें उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जी-20 सम्मेलन के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संबोधन के दौरान कहीं। उन्होंने कई देशों से आए मेहमानों का स्वागत किया। पीएम ने भारत के विजन के बारे में बताया। साथ ही, काशी का ऊर्जा का जिक्र किया। पीएम ने कहा- मुझे खुशी है कि जी-20 के विकास एजेंडा काशी तक भी पहुंच गया।पीएम ने कहा कि दुनिया में दक्षिण के देशों के लिए विकास एक प्रमुख मुद्दा है। यह देश कोविड से गंभीर रूप से प्रभावित थे। भू-राजनीतिक तनाव के कारण खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट ने एक और झटका दिया है। ऐसी परिस्थितियों में आप जो निर्णय लेते हैं उसका बहुत महत्व होता है।

जी-20 में दो सौ से ज्यादा डेलीगेट्स बैठक में शामिल

सोमवार को विदेशी डेलीगेट्स के साथ पंडित दीन दयाल हस्तकला संकुल में डेवलपमेंट मिनिस्टर्स के बीच बहुपक्षीय और द्विपक्षीय वार्ता होगी। जी-20 सम्मलेन में आज 20 देशों के 200 से ज्यादा डेलीगेट्स आने वाले 100 साल के विकास की दिशा-दशा पर मंथन करेंगे। इस सम्मेलन में लिए गए फैसले को सितंबर में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल शिखर सम्मेलन में रखा जाएगा।बैठक में फाइनेंशियल क्राइसिस, डेब्ट क्राइसिस, क्लाइमेट चेंज, बढ़ती गरीबी और असमानता, फूड सिक्योरिटी एंड एनर्जी कंजर्वेशन, महामारी, आतंकवाद, जीवन यापन, ग्लोबल सप्लाई चेन में बाधा, जियो पॉलिटिकल डिस्प्यूट और युद्ध जैसे मुद्दों पर फोकस किया जाएगा।

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