रायबरेली। बेटियों ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह किसी से कम नहीं है। आज बेटियां सेना से लेकर फाइटर जेट तक उड़ाने का कार्य कर रही हैं। कुछ दिन पहले तक एक महिला ट्रक ड्राइवर की चर्चा सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हो रही थी। कुछ ऐसा ही नजारा बछरावां कस्बे में देखने को मिला जहां एक 22 वर्षीय बेटी ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन शुरु कर दिया है। इससे वह समाज को एक संदेश देने का कार्य भी कर रही है।

बेटियों को निरी समझने की मनोदशा बदलनी होगी

जो लोग बेटियों को निरीह समझने मनोदशा बदलनी होगी बेटियां किसी से कम नहीं है। यह उदाहरण पेश करने वाली बहादुर बेटी है जिले के शिवगढ़ थाने के ग्राम पिंडोली की है जिसका नाम विजयलक्ष्मी पुत्री स्वर्गीय राम लखन है। यह आपको क्षेत्र में अपने ई रिक्शा पर सवारियां ढोती हुई मिल जायेगी। अक्सर यह शिवगढ़ मार्ग तो कभी-कभी महाराजगंज मार्ग पर दिखाई पड़ जाएगी।

मजदूरी से परिवार का खर्च नहीं चला तो चलाने लगी ई-रिक्शा

ई रिक्शा चलाने की बात जब विजयलक्ष्मी से पूछी गई तो उसने बताया कि वह पांच बहने हैं। जिसमे उसकी खुद की उम्र 22 वर्ष छोटी बहन सोनी 18 वर्ष रोशनी 15 वर्ष हेमा 11 वर्ष तथा ज्योति 8 वर्ष है। उसके पिता की मौत 8 वर्ष पूर्व हो गई थी। पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया। गांव में मेहनत मजदूरी करने का प्रयास किया पर परिवार का भरण पोषण उससे नहीं हो पा रहा था। मजबूरन उसने ई रिक्शा चलाने का फैसला लिया और एक सप्ताह पूर्व ई-रिक्शा खरीद कर सड़क पर उतर गई।

बहादुर बेटी के इस जज्बे कि क्षेत्रवासी कर रहे प्रशंसा

उसने यह भी बताया कि उसका विवाह हो चुका है, परंतु पति बाहर रहते हैं। यह पूछने पर कि सवारियां ढोने के दौरान कुछ लोग परेशान करने वाले भी मिलते होंगे उसने कहा समाज के अंदर अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के व्यक्ति हैं। परंतु यदि व्यक्ति के अपने विचार सही हो तो दुनिया के लोग उसका कुछ नहीं कर पाते। उसने कहा कि आज उसे आत्म संतोष है, कि वह पिता के ना रहने पर संतान होने का दायित्व निभा रही है। और उन लोगों को यह संदेश भी देना चाहती है कि हमारे संसार में आने पर शोक न करें। समय आने पर हम बेटियां भी बेटों की तरह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकती हैं। बहादुर बेटी के इस जज्बे कि क्षेत्रवासी प्रशंसा कर रहे है।

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