यूपीएसएमन्यूज, ब्यूरो। गुजरात के गोधरा केस में सजायाफ्ता कैदियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दे दी है। गोधरा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। सजा-ए-मौत पाए चार कैदियों को कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है।

सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों को जमानत देने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने गोधरा मामले में दोषियों की जमानत मामले पर फैसला किया। जमानत पाने वाले 8 दोषी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि बेल की शर्तें पूरी कर बाकी लोगों को जमानत पर रिहा किया जाए।

ये सभी दोषी 17 से 20 साल की सजा काट चुके हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों को फिलहाल जमानत देने से इनकार कर दिया। इनको निचली अदालत ने फांसी की सजा दी थी, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। दोषियों के वकील संजय हेगड़े ने ईद के मद्देनजर इनको जमानत पर रिहा करने की अपील की।

निचली अदालत ने 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी

बता दें कि, निचली अदालत ने 11 दोषियों को मौत की सजा, जबकि 20 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में मौत की सजा को कम करते हुए 31 की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था। इनमें से कुछ ने अपनी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपनी अपीलों के निस्तारण तक जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

शुक्रवार को इन दोषियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की कोर्ट ने कहा कि मौत की सजा पाए चार दोषियों को छोड़कर बाकी को जमानत दी जा सकती है।चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ की ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जमानत की शर्ते निचली अदालत तय करेगी।

एस-6 कोच में आगजनी के चलते 59 लोगों की हो गई थी मौत

बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आगजनी के चलते 59 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में ज्यादातर कारसेवक थे जो कि अयोध्या से लौट रहे थे। इसके बाद राज्य में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी।इस घटने के ठीक अगले दिन यानी 28 फरवरी को राज्य में बंद बुलाया गया था। इसी बंद के दौरान अहमदाबाद शहर के नरोडा गाम इलाके में हिंसा हुई थी और घटना में कुल 11 लोगों की जान गई थी।

इस घटना के बाद पूरे गुजरात में तनाव जैसी स्थिति पैदा हो गई थी।घटना के करीब नौ साल बाद कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया था। इसके बाद साल 2011 में एसआईटी कोर्ट ने 11 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जबकि 20 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी। मामला जब हाई कोर्ट में पहुंचा तो अदालत ने फांसी की सजा पाए दोषियों की सजा को भी उम्रकैद में बदल दिया था।

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