सम्भल । उपभोक्ता मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र वार्ष्णेय ने विश्व उपभोक्ता दिवस के अवसर पर बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रभाव में आने के उपरान्त माल व सेवाओं के लिये उपभोक्ता बाज़ारों मे भारी परिवर्तन आया है। आधुनिक बाज़ारों में माल व सेवाओं का अम्बार लग गया है ।उपभोक्ताओं के हितों के बेहतर संरक्षण के लिए और उस प्रयोजन के लिए उपभोक्ता विवादों के समाधान के लिए उपभोक्ता परिषदों और अन्य प्राधिकरणों की स्थापना के उद्देश्य से ही उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम वर्ष 1986 में अधिनियमित किया गया। जिसके अंतर्गत उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोगों का गठन हुआ जोकि काफ़ी हद तक उपभोक्ता विवादों के निराकरण में उपयोगी साबित हुआ लेकिन भ्रामक विज्ञापन, टेलीमार्केटिंग, बहुस्तरीय विपरण, सीधे विक्रय और इ-वाणिज्य ने उपभोक्ता संरक्षण के लिए नई चुनौतियां उत्पन्न की।

15 मार्च को मनाया जाता है विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस

उपभोक्ताओं को क्षतिसे बचाने हेतु समुचित और शीघ्र कार्यपालक हस्तक्षेप की आवश्यकता को देखते हुए ही वर्ष 2019 मे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लाया गया जोकि 20 जुलाई,2020 से लागू हुआ। वर्तमान में जिला उपभोक्ता आयोगों को 50 लाख तक के मामले तथा 50 लाख से ऊपर के मामले राज्य आयोग को सुनने का अधिकार है। प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को उपभोक्ताओं के अधिकारों और उनकी आवश्यकताओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है।

इसमें अधिकतम तीन वर्ष की सजा व एक लाख जुर्माने का प्रावधान

15मार्च को राष्ट्रपति जॉन कनेडी द्वारा अमेरिकी कांग्रेस को विशेष सन्देश भेजना गया था सन्देश में उन्होंने उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दों को औपचारिक रूप से सम्बोधित किया। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोगों के आदेश की अवहेलना पर अधिकतम 3 वर्ष की सजा व एक लाख जुर्माने से दण्डित करने के प्रावधानों ने भी उपभोक्ताओं के मनोबल को बढ़ाया है।

मण्डल स्तर पर राज्य उपभोक्ता आयोग की सर्किट बेंच बने : देवेंद्र वार्ष्णेय

ऑनलाइन शॉपिंग ने उपभोक्ता बाजार को विस्तार दिया है। जहां एक ओर उपभोक्ताओं के इसका लाभ मिला है। वहीं धोखाधड़ी, सेवाओं में कमी, दोषयुक्त माल की प्राप्ति जैसे मामलों ने उपभोक्ता सम्बन्धी शिकायतों में काफी वृद्धि हुई है, लेकिन सरकारी अव्यवस्थाओं के कारण उपभोक्ताओं को वास्तविक न्याय नहीं मिल पर रहा है। मण्डल स्तर पर सर्किट बेंच बने तब ही कुछ लाभ मिल सकता है।

किसी भी समान की खरीदारी करते समय पक्का बिल अवश्य लेना चाहिए

अधिवक्ता देवेंद्र वार्ष्णेय ने बताया उपभोक्ताओं का अपने अधिकारों के बारे जागरूक होना जरूरी है। किसी भी समान की खरीदारी करते समय पक्का बिल अवश्य लेना चाहिए। उपभोक्ताओं को बाजार के दुरुपयोग, उपभोक्ताओं से होने वाली ठगी, नापतौल में गड़बड़ी, कम वजन वाले या खोटे बाट का उपयोग, गारंटी के बाद भी सर्विस न देना, अवधि समाप्ति वाली वस्तुएं और एमआरपी के प्रति जागरूक होना जरूरी है। अगर वह धोखाधड़ी और ठगी का शिकार होते हैं तो वह जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।यदि कोई उपभोक्ता जिस स्थान का मूल निवासी है और कहीं बाहर नौकरी करता है तो वह जिस शहर में नौकरी कर सकता है, वहां पर भी आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज करा सकता है।

दावा दायर करने पर उपभोक्ता को यह अदा करनी होती है फीस

अधिवक्ता देवेंद्र वार्ष्णेय ने बताया कि उपभोक्ता आयोग 50 लाख रुपये तक के दावा अपने यहां दर्ज सुनवाई कर सकता है। उपभोक्ताओं को पांच लाख रुपये तक के दावा दायर करते हुए कोई कोर्ट फीस अदा नहीं करनी होती है। पांच से 10 लाख रुपये तक लिए 200 रुपये कोर्ट फीस लगती है। 10 लाख से 20 लाख रुपये तक के लिए 400 रुपये कोर्ट फीस लगती है। 20 लाख से 50 लाख रुपये तक के लिए एक हजार रुपये कोर्ट फीस अदा करनी होती है। आयोग के समक्ष उपभोक्ता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अथवा पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करा सकता है।

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