उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान में प्रदेश के सैकड़ों शिक्षा मित्रों प्रदर्शन कर समान काम समान वेतन की मांग प्रदेश सरकार की। शिक्षा मित्रों ने कहा कि अगर हम शिक्षा मित्र पढ़ाना नहीं जानते तो इतने वर्षो से हमे नौकरी पर क्यों रखा गया। हमसे पूर्व की तरह सारा काम कराया जा रहा परन्तु वेतन 40हजार से 10हजार कर दिया गया क्यों । हम 40हजार से 10 हजार पर आ गए है । यह बातें लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान मे आन्दोलनरत शिक्षा मित्रों ने कही ।

इतने कम पैसे में शिक्षों के परिवार का नहीं हो पा रहा है भरण पोषण

शिक्षामित्रों ने अपने इस प्रदर्शन को महासम्मेलन का नाम दिया है । शिक्षा मित्रों के अनुसार चार वर्षों में छह हजार शिक्षा मित्रों ने आत्महत्या कर ली है। 40 हजार वेतन मिलता था दस हजार वेतन होने से जिन्होंने बैंक से लोन ले रखी थी वह लोन नहीं भर पाने के दशा में आत्महत्या की। आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के कार्यकारी प्रांतीय अध्यक्ष विश्वनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला व दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षामित्र बीते 22 वर्षों से योगदान दे रहे हैं। वर्तमान में शिक्षामित्रों की स्थिति दयनीय है। महंगाई के दौर में मात्र 10000 रुपये प्रतिमाह मानदेय वर्ष में 11 महीने ही मिलता है। ऐसे में शिक्षामित्रों के परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा।

केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा शिक्षामित्रों की मांग सरकार तक पहुंचाएंगे

शिक्षामित्रों के कंधों पर पूरे परिवार का बोझ है। बच्चों की पढ़ाई व उनकी शादी की जिम्मेदारी भी उठाने में मुश्किल हो रही है। सभी संगठनों के नेताओं ने कहा कि वह एकजुटता दिखाने के लिए ही एक मंच पर आए हैं। उन्होंने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि सरकार हमारी बात को सुनेगी। महासम्मेलन में पहुंचे केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि वह पूरी तरीके से शिक्षामित्रों के साथ हैं। शिक्षामित्रों की मांग को सरकार तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार भी शिक्षामित्रों की मांगों के प्रति गंभीर है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई कराने के लिए पूरा प्रयास करेंगे।

यहां से शुरू हुआ शिक्षामित्रों का आंदोलन

दरअसल क्या है शिक्षा मित्रों का प्रकरण 26 मई 1999 को संविदा के आधार पर शिक्षा मित्रों की नियुक्ति की गई थी। लगातार सेवा करने के बाद स्थायी नियुक्ति की मांग की जून 2013 में एक लाख बहतर हजार शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर तत्कालीन अखिलेश सरकार ने समायोजित करने का निर्णय लिया।शिक्षा मित्रों ने कहा कि सरकार के इस निर्णय की पहले से कार्यरत सहायक शिक्षक तथा टेट पास शिक्षकों ने उच्च न्यायालय मे चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने जरूरी योग्यता न होने के आधार पर उच्च न्यायालय ने शिक्षा मित्रों का समायोजन रद कर दिया ।

इसके खिलाफ राज्य सरकार तथा शिक्षा मित्र सुप्रीम कोर्ट गए कोर्ट में प्रकरण लम्बित रहने के दौरान एक लाख बहतर हजार में से एक लाख अडुतीस हजार शिक्षा मित्र सहायक शिक्षक के रूप मे समायोजित कर दिए गए । इनका वेतन सहायक शिक्षक की तरह तीस से चालीस हजार वेतन हो गया । 2017 में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के हवाला देते हुए उन सभी समायोजित सहायक शिक्षकों को पुन: शिक्षा मित्र बना दिया इनका वेतनमान भी दस हजार रूपया कर दिया गया तभी से इनका अनवरत संघर्ष जारी है ।

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