उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लोगों के लिए 31 जनवरी और 1 फरवरी की मध्य रात्रि का समय इतिहास में दर्ज हो गया। ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए लोग गोरखनाथ मंदिर के बाहर खड़े रहे। सर्द हवाओं के बीच जब नेपाल से बिहार और यूपी के कुशीनगर होते हुए देवशिलाएं रात 12 बजकर 40 मिनट पर गोरखनाथ मंदिर पहुंची, तो लोगों ने शीश झुकाकर जय श्रीराम के उद्घोष के साथ इसका स्वागत किया। गोरखनाथ मंदिर पहुंचने पर भगवान श्रीराम और माता सीता की आस्था से जुड़े इन देवशिलाओं का पूजन-अर्चन और आरती हुई। बुधवार की सुबह इन शालिग्राम देवशिलाओं को विधि-विधान से पूजन-अर्चन के बाद अयोध्या के लिए रवाना किया गया।

गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में बुधवार 1 फरवरी को रात 12 बजकर 40 मिनट पर शालिग्राम देवशिलाएं पहुंचीं। हिन्दू सेवाश्रम के पास पहुंचने पर इन शिलाओं का मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने आरती और पूजन-अर्चन कर स्वागत किया। नेपाल के काली गंडकी नदी से निकली 6 करोड़ वर्ष पुरानी इन शिलाओं को भगवान विण्णुअवतारी माना जाता है। ये शालिग्राम देवशिलाएं इतनी सिद्ध हैं कि इन्हें स्थापित करने पर प्राण प्रतिष्ठा की भी जरूरत नहीं होती है।

पुजारी योगी कमलनाथ ने आरती और पूजन-अर्चन कर स्वागत किया।

योगी कमलनाथ ने कहा कि शालिग्राम शिलाएं नेपाल से बिहार और कुशीनगर होते हुए गोरखनाथ मंदिर में पहुंची है। यहां पर लोग इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने के लिए पहले से ही उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि सुबह इन देव शिलाओं को अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा। ये शालिग्राम देवशिलाएं एक से दो दिन में अयोध्या पहुंचेंगी। वहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इनका स्वागत करेंगे।

सालिग्राम देवशिला का दर्शन करने पहुंची युवतियां।

विश्व महासंघ गोरखपुर के प्रचार प्रमुख दुर्गेश त्रिपाठी और हियुवा के पूर्व प्रदेश महामंत्री इं. पीके मल्ल और कार्यकर्ताओं ने देवशिला रथ का स्‍वागत किया। कहा कि शालिग्राम देवशिलाएं गोरखनाथ मंदिर पहुंची है। इनके दर्शन कर वे खुद को सौभाग्‍यशाली समझते हैं।गोरखपुर के तारामंडल से गोरखनाथ मंदिर पहुंचीं ये महिला बृजबाला पांडेय और इनकी दोनों बेटियां नेहा पांडेय और निधि पांडेय काफी खुश हैं।

वे कहती है कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें इस पल के साक्षी बनने का अवसर मिला है। वे आज के दिन यहां पर भगवान श्रीराम और माता सीता स्वरूपी देवशिलाओं का दर्शन कर धन्य हो गई हैं। वे कहती हैं कि उनकी आंखों में खुशी के आंसू हैं। क्योंकि वे सुबह से ही इनका इंतजार कर रही हैं।उनके भीतर इतनी आस्था है कि वे आधी रात को यहां इन शिलाओं के दर्शन के लिए खड़ी हैं।

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