उत्तर प्रदेश में सरकार मनमानी तरीके से फैसले लेकर योगी सरकार की छबि को धूमिल करने का काम कर रहे है। कानपुर देहात में मां-बेटी के झोपड़ी में जिंदा जलने की घटना की आग अभी ठंडी नहीं की फुर्रुखाबाद में जिलाधिकारी के फैसले से आहत होकर एक किसान ने कीटनाशक दवा खाकर जान देने की कोशिश की। परिजनों ने आनन-फानन में उसे अस्पताल में भर्ती कराया तब जाकर उसकी जान बची।
पौधरोपण के लिए दी भूमि पर किसान ने बो दी फसल
जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में चार साल पूर्व पौधरोपण के लिए ग्राम समाज की जमीन गरीब व असहायों लोगों को पट्टे दिये थे। इसी के तहत ग्राम हल्दी खेड़ा कंपिल निवासी उदय पाल पुत्र राम स्वरूप का पट्टा हुआ था। उन्होंने पट्टे वाली भूमि पर पौधरोपण करने के बजाया सरसों की बुआई कर दी। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह से की। ग्रामीणों ने बताया कि उदय पाल ने पट्टा पर मिली जमीन पर खेती कर रहा है।
ग्रामीणों की शिकायत पर डीएम ने भेजा नोटिस
इसकी जानकारी होने पर जिलाधिकारी ने कड़ा कदम उठाते हुए छह हजार रुपये को प्रति बीघा जुर्माना लगाते हुए एक नोटिस भेजवा दिया। किसान नोटिस देखा तो उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई।क्योंकि उसकी माली हालत बहुत ज्यादा खराब है और जैसे-तैसे करके सरसों की फसल की बुआई कराई। उसमें ही वह कर्जदार हो गया था ऊपर से नोटिस। जब उसके कुछ नहीं सूझा तो अपनी जीवन लीला समाप्त करने का फैसला लेते हुए कीटनाशक पदार्थ खा लिया।
किसाना की आंख से दिखता नहीं, पत्नी है दिव्यांग
बेहीशी हालत में गांव से बाहर गिरा देख लोगों ने इसकी सूचना उसके भाई और परिजनों को दी। आनन-फानन में भाई ने एंबुलेंस को फोन किया। इसके बाद उपचार के लिए नजदीकी सीएचसी पर भर्ती कराया। जहां उपचार के बाद उसकी हालत में सुधार बताया जा रहा है। किसान के दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता है और पत्नी भी विकलांग है। किसान का कहना है कि दिव्यांग होने के कारण पति-पत्नी कुछ नहीं कर पाते है, मजदूर से किसी तरह से सरसों की फल की बुआई कराई है।