उत्तर प्रदेश में सीबीआई विवेचकों की कमी से जूझ रही है। दूसरी तरफ उसे जांच के लिए लगातार नए केस मिलते जा रहे हैं। योगी सरकार ने बीते तीन माह से चर्चित विनय पाठक प्रकरण की जांच भी सीबीआई से कराने की संस्तुति केंद्र सरकार से कर दी है। विनय पाठक छत्रपति शाहू जी महाराज युनिवर्सिटी कानपुर के कुलपति हैं। उन पर आगरा की डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी देने के नाम पर कमीशन मांगने का आरोप है। अभी तक इस मामले की जांच एसटीएफ कर रही थी। अब सरकार ने मामले में सीबीआई जांच की संस्तुति प्रदेश सरकार ने कर दी है।
काम के बोझ में दबी सीबीआई इस मामले की जांच हाथ में लेगी इसे लेकर संशय
काम के बोझ में दबी सीबीआई इस मामले की जांच हाथ में लेगी इसे लेकर संशय है क्योंकि बीते दिनों योगी सरकार द्वारा प्रदेश के आयुष कॉलेजों के दाखिले में हुई हेराफेरी के मामले की जांच सीबीआई ने हाथ में लेने से इंकार कर दिया था। गृह विभाग के अधिकारियों के अनुसार, डीजीपी की संस्तुति पर राज्य सरकार विनय पाठक के प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है। 26 अक्टूबर को इस मामले में पाठक व इनके करीबी अजय मिश्र के खिलाफ इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी। रिपोर्ट दर्ज होने के दूसरे दिन ही एसटीएफ ने अजय मिश्र को गिरफ्तार कर लिया था।
अब तक इस प्रकरण में तीन लोगों को भेजा गया है जेल
अब तक इस प्रकरण में तीन लोगों को जेल भेजा गया है। जांच के दौरान विनय पाठक के खिलाफ विवेचना में धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा भी बढ़ाई गई। विपक्षी दल इस मामले को लेकर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाने लगे थे, जिसके चलते प्रदेश सरकार ने इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच सीबीआई से कराने का फैसला लिया है।देखना यह है सीबीआई इस मामले की जांच अपने हाथ में लेती है या नहीं, क्योंकि सीबीआई की लखनऊ इकाई के पास पहले से ही काफी संख्या में केस लंबित है। सीबीआई के लखनऊ जोन में इस साल अब तक 33 मामले दर्ज किए हैं।