समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत दूसरे सर्वोच्च सम्मान पद्मविभूषण से सम्मानित किया जाएगा। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने धरतीपुत्र के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत दूसरे सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान पद्मविभूषण देने का ऐलान किया। किसी ने ये सोचा भी नहीं होगा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण से सम्मानित करेगी।दरअसल केंद्र सरकार के इस फैसले को असाधारण इसलिए माना जा रहा है क्योंकि मुलायम सिंह का नाम कारसेवकों के दमन, राम मंदिर के विरोध के तौर पर जाना जाता था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से सम्मानित करने के पीछे की वजह क्या हो सकती है।

मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण के सियासी मायने

मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से नवाजे जाने के पीछ सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में बीजेपी यूपी में ओबीसी पर मजबूत पकड़ बनाने में कामयाब रही है लेकिन अब भी पिछड़ों में सबसे प्रभावशाली जाति यादव पर उसका कोई खास जादू नहीं चल पाया है। मोदी सरकार का ये दांव उसी यादव वोट को सपा से छिटकाने की है।मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण सम्मान से नवाजने के साथ भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के पिछड़े वोट बैंक में भी बड़ी नजर लगाए हुए हैं। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी का फोकस ओबीसी और पिछड़ों पर बहुत ज्यादा बना हुआ है। संभव है आने वाले लोकसभा के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को इसका कुछ सियासी फायदा भी मिले। पद्म सम्मान का ऐलान करके भारतीय जनता पार्टी ने यादव वोटों और मुलायम सिंह यादव के साथ जुडे़ एक बडे़ वर्ग को अपनी ओर खींचने की कोशिश की है।

सपा के जनाधार में सेंध लगाने की कोशिश

बीजेपी को पता है कि लोकसभा चुनाव 2024 में उसे समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिलेगी क्योंकि उसके पास खास जनाधार है। उस खास जनाधार में अगर पार्टी कुछ फीसद तक सेंध लगाने में कामयाब होती है तो 2014, 19 के नतीजों को दोहराने में दिक्कत नहीं होगी। हाल ही में जिस तरह से बीजेपी ने सुधा यादव(हरियाणा से आती हैं) को संसदीय दल में जगह मिली। कानपुर में हरमोहन सिंह यादव के योगदान की पीएम मोदी ने तारीफ की उसे सियासी तौर पर अहम माना जा रहा है।

सपा के पारंपरिक वोटरों पर बीजेपी की नजर

बता दें कि बीजेपी 2024 की तैयारी में जुटी हुई है। लोकसभा की 543 सीटों में से 80 सीटें यूपी से आती हैं। हाल ही में बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने गाजीपुर से लोकसभा प्रवास कार्यक्रम की शुरुआत की। लोकसभा प्रवास के केंद्र में वे 14 लोकसभा सीटें है जिन्‍हें बीजेपी हार चुकी है। इनमें एक मैनपुरी भी है जो मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई और वहां से सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव को जिताने में कामयाब हुए। हारी हुई 14 सीटों में 3 सीटें मैनपुरी, संभल, मुरादाबाद सपा के पास गईं। इन 3 सीटों पर जीत तभी मुमकिन है जब मुलायम सिंह यादव से लगाव रखने वाली जनता के दिल में बीजेपी पैठ बनाए। मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्मविभूषण देना बहुत कुछ बीजेपी के लिए सपा के पारंपरिक वोटर के रुख को नरम कर सकता है। खासकर ऐसे वोटर को जिसका अखिलेश यादव से मोहभंग हो गया हो और जो सपा का मजबूत राजनीतिक भविष्य न देखता हो।

शिवपाल यादव ने कहा, नेताजी ने हमेशा देश, प्रदेश के किसानों, गरीबों, नौजवानों की आवाज को बुलंद किया

गणतंत्र दिवस के मौके पर कोऑपरेटिव बैंक में समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने ध्वजारोहण किया। साथ ही गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी की देशवासियों को बधाई दी। शिवपाल ने मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण मिलने पर खुशी जताई। बीते बुधवार को सरकार के द्वारा नेताजी मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण दिया गया।जिसके मिलने पर शिवपाल यादव ने कहा कि नेताजी ने हमेशा देश, प्रदेश के किसानों, गरीबों, नौजवानों की आवाज को बुलंद किया है। इसलिए मिला है नेताजी को पद्म विभूषण। भारत रत्न के सवाल पर शिवपाल सिंह ने कि नेताजी जब रक्षा मंत्री रहे तो उन्होंने जवानों की आवाज को बुलंद किया।

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