उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज द्वारा आयोजित दस दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव चलो मन गंगा यमुना तीर के दूसरी संध्या का आयोजन हुआ। आस्था के भाव में डूबा पूरा संगम दूधिया रोशनी से नहाया है, हर कोई इस पुण्य के सागर में डुबकी लगाना चाह रहा है। ऐसे में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र 1987 से चलो मन गंगा यमुना तीर का आयोजन कर रहा है।

सरगम है सूफियाना मां तेरे चरणों में मिले ठिकाना, कितनी सुंदर हिमगिरी शिव आसन कैलाश नगरी से प्रयागराज के संत लाल ने अपना गायन आरंभ किया। कार्यक्रम की कडी में राम प्रकाश पटेल एवं दल ने करके गवन वनवा गइले सजनवां तथा मेला प्रयागराज सुखदाई चले नहाई सजना की प्रस्तुति दी। वही धर्मेन्द्र एवं दल ने लई-लई के विश्वास हो आई-आई करें कल्पवास की प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा। सुप्रसिद्ध लोकगायिका जया पाण्डेय एवं साथी कलाकारों ने मन भया रे सावरिया. चलों मन गंगा मन यमुना तीर तथा कोयल बिन बगिया न सोहे राजा की शानदार प्रस्तुति देकर दर्शकों को खूब झूमाया।

गंगा मइया का बखान करते हुए स्वाति निरखी ने अपने सुरों की ताल से पूरे सांस्कृतिक पंडाल को भक्तिमय कर दिया। उन्होंने जाना था गंगा पार प्रभु केवट के नाव चढे़ एवं मेरी पहचान है गंगा देश की शान है गंगा की प्रस्तुति देकर दर्शकों को भक्तिलीन कर दिया। वही सुधीर मिश्रा ने देवीगीत आंख के आंसू मन के निराशा सारा निदान है आंचल में, केकरा से पूंछी कौने बात के बहला को गीत को प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। गाजीपुर से सुनील कुमार एवं दल ने धोबिया लोकनृत्य एवं मणिपुर के मुटुम हीरोजीत सिंह ने स्टिक नृत्य तथा पं बंगाल का नटुआ, एवं राजस्थान का भवई लोकनृत्य दर्शकों को खूब रास आया ।

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