इस भीषण ठंड के इस मौसम में ह्रदय रोगियों के साथ ही बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यदि सीने में लगातार भारीपन रहे, गैस जैसी दिक्कत लगातार हो, सीने के बीचों बीच या जबड़ों में दर्द हो, साथ ही घबराहट या बेचैनी महसूस हो तो शीघ्र ही किसी प्रशिक्षित चिकित्सक को दिखाएं। बरेली एडीशनल सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह ने बताया कि सर्दी में नसें सिकुड़ जाती हैं और यह नसें बाहरी तापमान के प्रति अति संवेदनशील होती हैं। नसें सिकुड़ने पर ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। अचानक बीपी बढ़ने से सीने में दर्द, घबराहट, उलझन और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है ।

सही समय पर उपचार न मिलने पर ब्रेन स्ट्रोक का रहता है खतरा

यदि समय पर इसका उपचार नहीं किया जाये, तो ब्रेन स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है।उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की नसों में कोलेस्ट्रॉल के कारण 40 फीसद रुकावट पहले से है तो उसमें हृदय रोग के लक्षण दिखाई नहीं देंगे लेकिन ठंड के कारण नसों के सिकुड़ने से यह रुकावट 70 से 80 फीसद हो सकती है जो कि एन्जाइना या हृदय रोग के रूप में प्रकट हो सकती है। बीपी, शुगर और ह्रदय सम्बन्धी समस्या के रोगी, दवाइयों का सेवन सही समय पर करें और नियमित रूप से चिकित्सक की देखरेख में रहें।

ठंड में हल्का भोजन शरीर के लिए फायदेमंद

डॉ. हरपाल ने बताया कि ठंड के मौसम में शरीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं ऐसे में हल्का भोजन ही शरीर के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि गरिष्ठ भोजन को पचाने के लिए पेट का रक्त संचार बढ़ जाता है और हृदय का रक्त संचार कम हो जाता है। जिससे हृदय की समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसलिए तले भुने खाद्य पदार्थ, जंक फूड व मिठाई का सेवन कम करें। इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। इसके अलावा प्रोसेस्ड मीट और डेयरी उत्पादों का सेवन भी कम से कम करें। एल्कोहॉल, तंबाकू या तंबाकू उत्पादों का सेवन न करें। पानी की पर्याप्त मात्रा लेनी चाहिए जिससे डिहाइड्रेशन से बचा जा सके। बासी भोजन के सेवन से बचें।

धूप निकलने पर ही हृदय रोगी घर से बाहर निकले

डा. हरपाल ने बताया कि हृदय रोगियों को धूप निकलने पर ही बाहर निकलना चाहिए। कोहरे में घर से निकलना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। नियमित व्यायाम और ध्यान करना चाहिए। चिंता, तनाव और अवसाद से दूर रहें। दिन में कम से कम सात से आठ घंटे की नींद अवश्य लें। इसके अलावा एस्प्रिन की गोली अवश्य रखें। आकस्मिक परिस्थिति में चिकित्सक के परामर्श पर एक गोली चबाकर गुनगुने पानी से पी लें। यह खून को पतला करती है जिससे हृदयघात की स्थिति में मृत्यु की संभावना 25 फ़ीसद तक कम हो जाती है और रोगी को अस्पताल तक ले जाने का समय मिल जाता है। इसके अलावा शरीर को गरम रखें। टोपी, मफलर, दस्ताना, मोजे और गरम कपड़े पहने। गुनगुना पानी पीएं, गरम कमरे से निकलकर अचानक ठंडे में न जाएं।

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