सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को लखनऊ में परिवर्तन चौक पर सुभाष चंद्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद कहा कि देश के हर नागरिक के मन में देशभक्ति का भाव पैदा हो और हम सब अपनी राष्ट्रीयता के के मार्ग का अनुसरण करते हुए राष्ट्र प्रथम के भाव को सदैव निखार सकें। योगी ने कहा कि आजादी के आंदोलन के समय कई अवसर आये थे। जिसके माध्यम से सुभाष चंद्र बोष भारत की राजनीति में स्थापित हो सकते थे।
परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाने जाएंगे अंडमान-निकोबार के द्वीप, पीएम मोदी नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक का करेंगे अनावरण
केन्द्र की मोदी सरकार ने 2022 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया था। जिसके बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस को पूरे देश में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस मौके पर केन्द्र सरकार शहीदों को बड़ा सम्मान देने जा रही है। आज अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों के नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे जाएंगे। आज अंडमान और निकोबार में एक खास कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल होंगे।
पीएम मोदी इस कार्यक्रम में नेताजी के नाम वाले द्वीप पर बनने वाले सुभाष चंद्र बोस को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के एक मॉडल का भी अनावरण करेंगे।प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से इस कार्यक्रम की जानकारी दी गई है। प्रेस रिलीज़ के अनुसार पीएम मोदी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनने वाले नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल का भी अनावरण करेंगे। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए और नेताजी की स्मृति का सम्मान करने के लिए रॉस द्वीप समूह का नाम बदलकर 2018 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप के नाम पर रखा गया था। नील द्वीप और हैवलॉक द्वीप के भी नाम बदलकर शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप कर दिया गया था।
23 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं पराक्रम दिवस
जानकारी के बता दें कि 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाने की वजह बहुत खास है। चूंकि सुभाष चंद्र बोस का 23 जनवरी को जन्म हुआ था। इसीलिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जाती है, जिसे पराक्रम दिवस का नाम दिया गया।नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संपूर्ण जीवन हर युवा और भारतीय के लिए आदर्श है। उन्होंने आजादी की जंग में शामिल होने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा का परित्याग कर दिया और इंग्लैंड से भारत वापस लौट आए। स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में उन्होंने आजाद हिंद सरकार और आजाद हिंद फौज का गठन किया। खुद का आजाद हिंद बैंक स्थापित किया जिसे 10 देशों का समर्थन मिला। आज़ादी की जंग में उनके योगदान और उनके पराक्रम को याद करने के लिए सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वर्ष 2021 में भारत के पीएम मोदी ने पराक्रम दिवस को 23 जनवरी के दिन मनाने का फैसला किया। उसके बाद से हर साल पराक्रम दिवस मनाया जा रहा है।