नेपाल के काली गण्डकी नदी से प्राप्त 6 करोड़ वर्ष पुराने दो शालीग्राम शिलाओं two shaligram stones को अयोध्या Ayodhya लाया जा रहा है। इन शिलाओं को श्री राम मंदिर Shri Ram Mandir में वहां पर भगवान श्रीराम lord shriram के बाल स्वरूप की मूर्ति और माता सीता की मूर्ति बनाने idol making के लिए तय किया गया है । शालिग्राम shaligram मिलने वाली एक मात्र नदी काली गण्डकी River Kali Gandaki है, यह नदी दामोदर कुण्ड Damodar Kund से निकलकर गंगा नदी The River Ganges में मिलती है। कालीगण्ड नदी River Kali Gandaki के किनारे से लिया गया यह शिला खंड rock block एक 26 टन tons का और दूसरा 14 टन tonsका है।

जानकारी के लिए बता दें कि शालिग्राम shaligram शिलाओं stones को निकालने से पहले काली गण्डकी Kali Gandakiनदी में पूजा की गई ।शिला stone का 26 जनवरी गुरुवार के दिन गलेश्वर महादेव मन्दिर Galeshwar Mahadev Templeमें रूद्राभिषेक Rudrabhishek किया गया । यह पत्थर दो ट्रकों पर रखकर सोमवार को अयोध्या के लिए रवाना हो चुके हैं जो नेपाल से भारत के बिहार से होते हुए 31 जनवरी को गोपालगंज होते हुए उत्तर प्रदेश Uttar Pradesh में प्रवेश करेंगे।

वहां से कुशीनगर Kushinagar होते हुए जगदीशपुर Jagdishpurसे होते हुए गोरखपुर Gorakhpur में सायंकाल 4 बजे तक प्रवेश करेगी। गोरखपुर Gorakhpur प्रवेश पर आम जनमानस में बहुत उत्साह का माहौल है। यात्रा का कुसमी में शानदार ढंग से स्वागत किया जाएगा तत्पश्चात गौतम गुरुंग चौराहा, मोहद्दीपुर चौराहा विश्वविद्यालय चौराहा यातायात चौराहा धर्मशाला बाजार तरंग क्रॉसिंग के पास, गोरखनाथ मंदिर ओवरब्रिज के पास विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं एवं विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों के लोगों द्वारा यात्रा का स्वागत किया जाएगा।

गोरखनाथ मंदिर Gorakhnath Temple पहुंचने के उपरांत शिलाओं का स्वागत पूजन पूज्य संतों के द्वारा हिंदू सेवाश्रम पर किया जाएगा।तत्पश्चात यात्रा में सम्मिलित सभी लोगों का मंदिर में भोजन एवं विश्राम होगा अगले दिन एक फरवरी को प्रातः यात्रा का विधि विधान से पूजन कर उनको अयोध्या के लिए गोरक्ष पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ Chief Minister Yogi Adityanath महाराज के द्वारा रवाना किया जाएगा।

शालिग्राम में भगवान विष्णु का वास माना जाता है शास्त्रों के मुताबिक

जानकारी के मुताबिक शालिग्राम shaligram में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों में माता तुलसी और भगवान शालिग्राम shaligram का जिक्र भी किया गया है। इसलिए इन शिलाखंडों को बहुत ही खास माना जा रहा है। इन शिलाखंडों का धार्मिक महत्व है। क्योंकि इनका संबंध भगवान विष्णु से है। इन पत्थरों की सबसे महत्वपूर्ण बात है कि ये शिलाखंड ज्यादातर गंडकी नदी में ही पाए जाते हैं। हिमालय के रास्ते में पानी चट्टान से टकराकर इस पत्थर को छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है और नेपाल के लोग इन पत्थरों को खोज कर निकालते हैं और उसकी पूजा करते हैं। इन शिलाखंडों को दो फरवरी तक अयोध्या लाया जाएगा।

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