अमेठी के जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि नौ माह से पांच साल तक की आयु के बच्चों के लिए आवश्यक विटामिन ए की खुराक साल में दो बार जून एवं दिसंबर माह में बाल एवं पोषण माह का आयोजन कर बच्चों को पिलाई जाती है। उन्होंने बताया कि विटामिन ए की कमी से बच्चों में अंधापन हो जाता है जिसे रोका जा सकता है। इसके साथ ही विटामिन ए की कमी से गंभीर रोग तथा मृत्यु भी हो सकती है। गर्भवती में विटामिन ए की कमी से रतौंधी (नाईट ब्लाइंडनेस) हो जाता है। विटामिन ए के सेवन से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है। रतौंधी से बचाव, कॉर्निया की सुरक्षा होती है, दस्त एवं सांस सम्बन्धी रोगों से बचाव होता है एवं कुपोषण में कमी होती है। साथ ही यह शारीरिक विकास में भी सहायक होता है।

अमेठी में दो लाख से अधिक बच्चों को विटामिन ए की दवा पिलाने का लक्ष्य

जिले में बाल स्वास्थ्य पोषण माह के दौरान दो लाख दस हजार बच्चों को विटारमिन ए की दवा पिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह अभियान आगामी 26 जनवरी तक चलेगा। इस सम्बन्ध में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजय कुमार शर्मा ने बताया कि इस बार बीएसपीएम के दौरान लगभग दो लाख दस हजार बच्चों को दवा पिलाने का लक्ष्य है। जिसमें नौ माह से 12 माह के 24170 बच्चे एक से दो वर्ष के 45538 बच्चे तथा दो से पांच साल के 141195 बच्चे हैं। ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस (वीएचएनडी) के माध्यम से विटामिन – ए की खुराक बच्चों को एक सुनिश्चित योजना के अनुसार दी जायेगी।

नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ए की नौ खुराक दिये जाने का प्रावधान

डा. संजय कुमार शर्मा के मुताबिक विटामिन ए वसा में घुलनशील है। नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ए की नौ खुराक दिये जाने का प्रावधान है। नौ से 12 माह के बच्चों को एक मिली मीजल्स एवं रूबेला के पहले टीकाकरण के दौरान, 16 से 24माह के बच्चों को दो मिली (दो लाख अंतर्राष्ट्रीय यूनिट) मीजल्स एवं रूबेला के दूसरे टीके के साथ नियमित टीकाकरण सत्र के दौरान, दो साल से पांच साल के बच्चों को दो मिली (दो लाख अंतर्राष्ट्रीय यूनिट) 6 माह के अन्तराल पर बाल स्वास्थ्य पोषण माह के दौरान दी जाती है।

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